बांसुरी वादन से, खिल जाते थे कमल
वृक्षों से आंसू बहने लगते,
स्वर में स्वर मिलाकर, नाचने लगते थे मोर ।
गायें खड़े कर लेतीं थी कान,
साथ में बहाकर ले जाती थी, उपहार कमल के पुष्पों के,
ताकि उनके चरणों में,
रख सके कुछ पूजा के फूल ।
अब समझ में आया, जादुई आकर्षण का राज
जो आज भी जीवित है, बांसुरी की मधुर तान में
जो कि हर जीव में प्राण फूंकने की क्षमता रखती,
और सुनाई देती है कर्ण प्रिय बांसुरी ।