कहते हैं इस बात से श्रीजी को क्रोध आ गया और उन्होंने जगन्नाथ पुरी मंदिर को श्राप दे दिया था। उन्होंने श्राप दिया दिया कि कोई भी अविवाहित जोड़ा यदि इस मंदिर में दर्शन करेगा, तो उसका प्रेम कभी सफल नहीं होगा। जीवनभर प्रेमी और प्रेमिका को एक-दूसरे का प्यार और साथ रहने का अवसर नहीं मिलेगा।