श्रीराम और रावण युद्ध में भाई रावण की मदद के लिए अहिरावण ने ऐसी माया रची कि सारी सेना गहरी निद्रा में सो गई। तब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण करके उन्हें निद्रावस्था में पाताल लोक ले गया। इस विपदा के समय में सभी ने संकट मोचन हनुमानजी का स्मरण किया।
हनुमान जी तुरंत पाताल लोक पहुंचे और द्वार पर रक्षक के रूप में तैनात मकरध्वज से युद्घ कर उसे परास्त किया। जब हनुमानजी पातालपुरी के महल में पहुंचे तो श्रीराम और लक्ष्मण बंधक अवस्था में थे।
अगले पेज पर देखें फिर क्या किया हनुमान जी ने....
रहस्य पता चलते ही हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरूड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। सारे दीपकों को बुझाकर उन्होंने अहिरावण का अंत किया।