सृष्टि की रचना से यह चक्र चलता आ रहा है कि आकाशीय ग्रह भ्रमण करते समय किसी विशेष परिस्थिति में पहुँचते हैं तब ज्वालामुखी, भूकंप, पृथ्वी के अंदर हलचल होती है या कहें कि तब ही ये ये घटनाक्रम होते हैं,जब ग्रह अपनी स्थिति बदलते हैं। ग्रहण भी पृथ्वी, सूर्य एवं चंद्र की परिक्रमा के आधार पर होते हैं, जब ये होते हैं तो मनुष्य के जीवन पर गहरा असर छोड़ते हैं। 2010 में आने वाले प्रमुख ग्रहण का विवरण :
1. कंकण सूर्य ग्रहण 15 जनवरी 2010
ND
सन् 2010 का प्रथम सूर्यग्रहण माघ कृष्ण पक्ष अमावस्या शुक्रवार के दिन 11/52 से प्रारंभ होकर 15.13 तक है। यह ग्रहण कंकणाकृति है। भारत के दक्षिण भागों में ग्रहण के समय से अधिक होगा। सूतक बाल एवं वृद्ध व्यक्ति को एवं रोगियों को एक पहर पूर्व से मानना चाहिए।
यह ग्रहण 15 जनवरी 2010. उत्तराषाढ़ नक्षत्र व मकर राशि का होगा। मंत्रवादियों एवं वृद्धजनों, वित्तीय संस्थाओं से जुड़े शेयरों में तेजी आएगी, शीत का प्रकोप बढ़ेगा। माघ मास में यह ग्रहण होने से वर्षा अच्छी एवं फसल उत्पादन अधिक होगा।
शुक्रवार के दिन ग्रहण होने से रूई, सूत, घास में तेजी होगी। प्रजा में विग्रह होगा। प्रदर्शन, हिंसक घटनाओं एवं हड़ताल में वृद्धि होगी। उत्तराषाढ़ नक्षत्र के अंतर्गत होने से जीरा, खजूर, सीसा, सोना, शेयर में तेजी। नारियल, सुपारी किराने में जो वस्तु मंदी चल रही है, व्यापारीगण खरीदकर रख लें। पाँच माह में तेजी का लाभ लें।
सूर्य ग्रहण का समय स्पर्श समय 11 बजकर 52 मिनट मध्य समय 13 बजकर 44 मिनट मोक्ष समय 15 बजकर 13 मिनट
राशि पर शुभ अशुभ फल शुभ : मेष, सिंह, वृश्चिक, मीन को शुभदायक है। मध्यम : वृषभ, कर्क, धनु के लिए मध्यम है। अशुभ : मिथुन, कन्या, तुला, कुंभ के लिए अशुभ है।
सूतक निर्णय : इस सूर्यग्रहण का सूतक 14 जनवरी सन 2010 गुरुवार की रात्रि 23/52 से प्रारंभ हो जाएगा। ग्रहणके सूतक काल में बालक, वृद्ध, रोगीजन को छोड़कर भोजन, शयन, मूर्ति पूजन एवं हास्यविनोद करना निषेध माना गया है। ग्रहण स्पर्श से ही भोजन, भगवत-कीर्तन,सत्संग व देव आराधना करें। गर्भवती स्त्री को इष्ट व गोपाल का कीर्तन व भजन करना चाहिए।
मोक्ष के पश्चात स्नान करें, स्नान पवित्र नदियाँ, गंगा, यमुना, गोदावरी, क्षिप्रा, रेवा (नर्मदा) कावेरी नदियों में किसी भी नदी में करें अथवा संभव न होने पर घर के पास जलाशय, तालाब पर स्नान करें। इसके अभाव में घर में किसी भी पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान करें। जिन राशि वालों को सूर्यग्रहण अशुभ है वह मसूर, रोली, लाल चंदन, लाल वस्त्र, अनाज का दान करें।
विशेष : 1. उत्तराषाढ़ नक्षत्र एवं मकर राशि में जन्म लेने वाले जातकों ने यह ग्रहण देखना नहीं चाहिए। पीड़ाकारक रहेगा। 2. गर्भवती महिला ने यह ग्रहण नहीं देखना चाहिए। 3. स्पर्श दिशा फल - ग्रहण का स्पर्श नैऋत्य कोण से होगा फलत: दुर्भिक्ष का भय, लोगों में निष्ठुरता और सज्जन व्यक्तियों को पीड़ा की संभावना है। 4. मोक्ष फल - इस सूर्यग्रहण का मोक्ष ईशान कोण में होने से वाम हनु नामक मोक्ष होगा। फलस्वरूप शासकों की संतान को भय, मुँह संबंधी रोग, सशस्त्र संघर्ष का उपद्रव होने की संभावना बढ़ती है।
खंडग्रास चंद्रग्रहण 26 जून 2010
ND
ज्येष्ठा कृष्ण पूर्णिमा शनिवार दि. 26 जून 2010 को मूल नक्षत्र धनु राशि में, ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण भारत के पूर्व भाग में दिखेगा। यह ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, एशिया, प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, उत्तर अमेरिका के पश्चिमी भाग में दिखाई देगा।
भूमंडल पर ग्रहण स्पर्श दिन 3.46 पर होगा और मोक्ष शाम 6.29 पर होगा। भारत में ग्रहण का मोक्ष शिलांग, गुवाहाटी, डिब्रूगढ़, कोलकाता शहरों में दिखाई देगा। ग्रहण महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र, मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश में दिखाई नहीं देगा।
धार्मिक रीति के अनुसार इसकी मान्यता केवल वही है जहाँ यह दिखाई देगा। और जहाँ यह दिखाई नहीं देगा वहाँ सूतक पालन आवश्यक नहीं है। (सूतक के नियम उपरोक्त अनुसार ही रहेंगे)
ग्रहण का शुभ अशुभ फल तुला, कर्क, कुंभ, मीन राशि के लिए शुभ है। मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक राशि के लिए मध्यम है। धनु, मकर, वृषभ, कन्या राशि के लिए अशुभ है।
खग्रास सूर्यग्रहण 11 जुलाई 2010 आषाढ़ कृष्ण अमावस्या रविवार दि. 11 जुलाई 2010 को आर्द्रा नक्षत्र मिथुन राशि में खग्रास सूर्यग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। धार्मिक रीति से भारत में इसकी मान्यता नहीं रहेगी। यह ग्रहण दक्षिण चीन, अर्जेंटीना, दक्षिण पूर्व में दिखाई देगा। खग्रास रूप में दक्षिण पश्चिम अमेरिका प्रशांत महासागर में दिखाई देगा। भूमंडल पर ग्रहण का स्पर्श 10.38 रात को होगा और ग्रहण का मोक्ष 3.26 रात अंत पर होगा।
खग्रास चंद्रग्रहण 21 दिसंबर 2010 अगहन (मार्गशीर्ष) शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार 21/12/2010 को मृगशिरा नक्षत्र मिथुन राशि में खग्रास चंद्रग्रहण होगा। यह ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए भारत में नियम सूतक मोक्ष मान्यता नहीं है। यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका यूरोप तथा एशिया के कुछ भागों में दिखाई देगा। भूमंडल पर ग्रहण का स्पर्श (भारतीय समयानुसार) दिन 12.02 एवं 3.11 शाम को मोक्ष होगा।