31 दिसम्बर गुरुवार-शुक्रवार की रात्रि को भारतीय समयानुसार 00.21.52 पर चन्द्र ग्रहण का स्पर्श प्रारम्भ होगा। मोक्ष का समय 25 बजे 23 मिनट 52 सेकेण्ड होगा। इस ग्रहण का मध्य काल 00.53.07 मिनट रहेगा। ग्रहण का वेध 31 दिसम्बर 2009 को दिन के 3 बजकर 21 मिनट पर प्रारम्भ हो जाएगा।
ग्रहण का राशियों पर प्रभाव- यह ग्रहण आर्द्रा नक्षत्र एंव मिथुन राशि में घटित हो रहा है। अतः आर्द्रा नक्षत्र एंव मिथुन राशि वाले व्यक्तियों के लिए विशेष कष्टकारी रहेगा। मेष राशि वालों के लिए आर्थिक लाभ का रहेगा। वृषभ राशि वालों के लिये धन-हानि के योग बनते हैं अतः ऐसे जातक धन संबंधित मामलों में सावधानी बरतें।
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मिथुन राशि वालों के लिए दुर्घटना के योग हैं अतः वाहनादि सावधानी से चलाएँ। कर्क के लिए आर्थिक मामलों में सावधानी रखकर चलने का होगा। सिंह राशि वालों के लिए लाभदायक स्थिति रहेगी। कन्या राशि वालों के लिए सुखद समय रहेगा कोई प्रसन्नतादायक समाचार भी मिल सकता है।
तुला राशि वालों को कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिससे अपमानजनक स्थिति का निर्माण हो। वृश्चिक राशि वालों को काफी सावधानी से चलना होगा। स्वास्थ्य का ध्यान अधिक रखें। धनु राशि वालों के लिए स्त्री या पति कष्ट रह सकता है अतः दाम्पत्य जीवन में तनाव से बचें। मकर राशि लिए सुखद समय रहेगा।
कुंभ राशि वाले चिन्ताग्रस्त रहेंगे। मन की शांति हेतु व कष्टों को कम करने के लिए महामृत्युंजय का जाप हर सोमवार को 108 बार अवश्य करें। मीन राशि वालों के लिए भी कष्टकारी समय है। आप भी कुंभ राशि वाला उपाय आजमाएँ। ग्रहण काल में गर्भवती स्त्रियाँ सावधानी बरतें। सब्जी या अन्य वस्तु काटने-चीरने से बचना चाहिए।
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व्यापार पर प्रभाव- यह ग्रहण आर्द्रा नक्षत्र, मिथुन राशि एंव पौष मास में घटित होने से लोहा, तेल, घी, गुड़, चना, अलसी, रुई, कपास, सरसो, एरण्ड, बिनौला, छुहारे एंव अन्य व्यापारिक वस्तुऐं तेज होगी। ग्रहण का राजनीतिक प्रभाव कैसा रहेगा। ग्रहण कन्या लग्न व वृषभ नवांश और राहु की महादशा में शुक्र के अन्तर में होने से इसका प्रभाव जनता व संबंधित कार्यो पर ठीक नहीं रहेगा।
शुक्र, गुरु की राशि धनु में भाग्येश व धनेश होकर द्वादशेश सूर्य, दशमेश व लग्नेश बुध के साथ राहु से ग्रस्त है,अत:आम जनता त्रस्त रहेगी। किसी भी पार्टी का ध्यान इस और नहीं रहेगा। आगामी छ: महीनों में किसी बड़े नेता का अवसान भी हो सकता है। सप्तमेश गुरु एक घर पीछे होने से स्त्रियों को कष्ट रहेगा। शनि की दशम भाव पर दृष्टि अलगाव के कारक केतु पर पड़ रही है, ये राजनीतिज्ञों के लिए अच्छे संकेत नहीं है। गुप्त शत्रुओं से भी हानि की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।