एक पटिए पर जल से भरा लोटा एवं एक करवे में गेहूं भरकर रखने चाहिए।
दीवार पर या कागज पर चन्द्रमा, उसके नीचे शिव तथा कार्तिकेय की चित्रावली बनाकर पूजा करें।
उजमन करने के लिए एक थाली में तेरह जगह चार-चार पूड़ी और थोड़ा-सा शिरा रख लें। उसके ऊपर एक साड़ी ब्लाउज और रुपए जितना चाहें रख लें। उस थाली के चारों ओर रोली, चावल के हाथ फेर कर अपनी सासू जी के पांव छूकर उन्हें दे दें।
वामन पुराण के अनुसार इस व्रत को कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। इस व्रत को विशेषकर सौभाग्यवती स्त्रियां अथवा उसी वर्ष में विवाही हुई लड़कियां करती हैं और नैवेद्य के 13 करवे या लड्डू और एक लोटा, 1 वस्त्र और एक विशेष करवा पति के माता-पिता को देती हैं।