करवा चौथ नजदीक आते ही महिलाओं के मन में एक अजीब-सी हलचल होने लगती हैं। उनका मन साज-श्रृंगार करने के लिए लालायित होने लगता है। महिलाएं इस त्योहार की तैयारी महीनों पहले से ही करने लगती हैं। परंपरा, फैशन और आधुनिकता के अनुरूप सजने-संवरने के लिए महिलाएं, कुंवारी कन्याएं तरह-तरह के सजने-संवरने के सामान को बाजार से समेटकर ले आती हैं और इस आने वाले पर्व का इंतजार करती हैं।
जिस घर में नवविवाहिता बहू होती है उसके पहले करवा चौथ पर कुछ परिवारों में मायके से ससुराल में उपहारस्वरूप वस्त्र और श्रृंगार का सामान भिजवाया जाता है, जिसे पहनकर ही नवविवाहिता यह पूजा करती है। इस दिन नवविवाहिताओं को बस इंतजार रहता है शरमाकर बादलों के घूँघट में छिपे चंद्रमा का सुंदर मुखड़ा देखने का। उन्हें न भूख, न प्यास का अहसास होता है। उनके मन में तो बस करवा चौथ की उमंग होती है। करवा चौथ के दिन छोटी बहू, परिवार की बड़ी बहू या फिर सास को करवा और मिष्ठान्न प्रदान कर अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेती है।
वर्ष में एक बार मनाए जानेवाले करवा चौथ के दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और सलामती के लिए चौथमाता से मुराद मांग कर इस पर्व को सार्थक करती हैं। करवा चौथ के दिन लाल रंग के परिधान पहनने का अपना अलग ही महत्व है, क्योंकि लाल रंग शुभ व सुहाग का प्रतीक माना जाता है, अतः इस पर्व पर सामान्यतः इसी रंग के परिधान पहने जाते हैं।