करवा चौथ 2021 पर प्रजापति, वारियान और अमृत योग बन रहे हैं, पहली बार व्रतधारी सुहागनों के लिए शुभ है

करवा चौथ व्रत का हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्त्व है। इस दिन पति की लम्बी उम्र के पत्नियां पूर्ण श्रद्धा से निर्जला व्रत रखती  है।
 
ज्योतिर्विद पं. सोमेश्वर जोशी के अनुसार करवा चौथ पर इस वर्ष रात 11 बजकर 35 मिनट तक वारियान योग रहेगा। वरीयान योग मंगलदायक कार्यों में सफलता प्रदान करता है। साथ ही चंद्रमा पूरे समय रोहिणी नक्षत्र में रहेगा। यह चंद्र देव रात्रि प्रधान पर्व है इसी दिन चंद्र पानी सबसे प्रिय पत्नी रोहिणी नक्षत्र में भ्रमण करेगा  इस नक्षत्र में चंद्रमा का पूजन करना बेहद ही शुभ माना जाता है। 
 
इसी के साथ ज्योतिष के अनुसार चतुर्थी तिथि को चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में विराजमान रहेगा। पहली बार कई वर्षो बाद चंद्र  रोहिणी का योग बना है इसके साथ ही प्रजापति (धाता) योग जिसका फल सौभाग्य होता है,और साथ में अमृत योग भी बन रहा है....
 
पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत अच्छा है।
 
छांदोग्य उपनिषद् के अनुसार चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। साथ ही साथ इससे लंबी और पूर्ण आयु की प्राप्ति होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।
 
महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले जाते हैं। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। वह कहते हैं कि यदि वह कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करें तो इन सभी संकटों से मुक्ति मिल सकती है। द्रौपदी विधि विधान सहित करवाचौथ का व्रत रखती है जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है।
 
पूजा एवं चन्द्र को अर्घ्य देने का मुहूर्त
 
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी (करवाचौथ) 24  अक्टूबर को करवा चौथ पूजा मुहूर्त- सायं 05:35 से 06:55 तक।
 
पूजा एवं 
चंद्रोदय- रात्रि 8. 07 से 8.011 
चन्द्र को अर्घ्य देने का मुहूर्त 08:36
 
चतुर्थी तिथि आरंभ 24 अक्टूबर रात्रि 03:01 पर।
चतुर्थी तिथि समाप्त 25 अक्टूबर प्रातः 05:43 तक।
 
13 घंटे 57 मिनट का समय व्रत के लिए है। ऐसे में महिलाओं को सुबह 6 बजकर 27 मिनट से रात 8 बजकर 36 मिनट तक करवा चौथ का व्रत रखना होगा।
 
करवा चौथ के दिन चन्द्र को अर्घ्य देने का समय रात्रि 8:36 बजे से 9:26 तक है।
 
इन शहरों के लगभग 200 किलोमीटर के आसपास तक चंद्रोदय के समय मे 1 से 3 मिनट का अंतर आ सकता है।प्राचीन मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के दिन शाम के समय चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है।
 
चंद्रदेव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जप अवश्य  करना चाहिए। अर्घ्य देते समय इस मंत्र के जप करने से घर में सुख व शांति आती है।
 
"गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥"
 
इसका अर्थ है कि सागर समान आकाश के माणिक्य, दक्षकन्या रोहिणी के प्रिय व श्री गणेश के प्रतिरूप चंद्रदेव मेरा अर्घ्य स्वीकार करें।
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