Karwa chauth 2025: करवा चौथ पूजा की सामग्री, संपूर्ण पूजन विधि और कथा

WD Feature Desk

शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025 (16:28 IST)
karwa chauth 2025 date: करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दौरान किया जाता है। इसे करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मिट्टी के पात्र, जिसे करवा या करक कहते हैं, से चंद्रमा को जल अर्पित किया जाता है (जो कि अर्घ्य कहलाता है)। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और उन्नति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और विधिवत पूजन करती हैं। धार्मिक दृष्टि से इस व्रत में करवा माता के साथ ही भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व है।
 
करवा चौथ 2025 शुभ मुहूर्त
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा।
 
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ: 09 अक्टूबर 2025, रात्रि 10:54 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त: 10 अक्टूबर 2025, शाम 07:38 तक
करवा चौथ व्रत: 10 अक्टूबर 2025 (उदायातिथि अनुसार)
पूजा मुहूर्त: शाम 06:06 से 07:19 तक
व्रत समय: सुबह 06:21 से रात्रि 08:34 तक
चंद्रोदय: रात्रि 08:34 तक
 
करवा चौथ पूजा की आवश्यक सामग्री:-
करवा चौथ पर्व की पूजन सामग्री इस प्रकार है:-
पूजन के लिए: मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, अगरबत्ती, कपूर, पुष्प, लकड़ी का आसन, छलनी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी।
अर्घ्य और भोग: कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, गंगाजल, चंदन, चावल, शक्कर का बूरा, गेहूं, हलुआ, आठ पूरियों की अठावरी।
श्रृंगार सामग्री (सुहाग): सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, कुमकुम, हल्दी, शहद।
अन्य: मिठाई, दक्षिणा के लिए पैसे आदि संपूर्ण सामग्री इकट्‍ठा करके रख लें।
 
करवा चौथ की सरल पूजन विधि
व्रत संकल्प: सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहनें और श्रृंगार करें। निर्जला व्रत का संकल्प बोलकर व्रत आरंभ करें। जलपान न करें।
प्रातः मंत्र जाप: प्रातःकाल पूजा के समय निम्न में से किसी एक मंत्र का जप करें:
मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।
 
अथवा, देवताओं के नाम से पूजन करें:
'ॐ शिवायै नमः' से पार्वती का, 'ॐ नमः शिवाय' से शिव का, 'ॐ षण्मुखाय नमः' से स्वामी कार्तिकेय का, 'ॐ गणेशाय नमः' से गणेश का, 'ॐ सोमाय नमः' से चंद्रमा का पूजन करें।
 
स्थापना: सायंकाल, बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी पर या लकड़ी के आसन पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश और चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति न होने पर सुपारी पर नाड़ा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित कर सकते हैं। मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्री गणेश को विराजमान करें।
 
पूजन और कथा:
चंद्रमा को अर्घ्य और व्रत पारण:
चाँद को छलनी से देखने के बाद चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।
चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस मंत्र को बोलें:
- चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देते समय यह मंत्र बोलें-
'करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा। 
ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥
इति मन्त्रेण करकान्प्रदद्याद्विजसत्तमे। 
सुवासिनीभ्यो दद्याच्च आदद्यात्ताभ्य एववा।।
एवं व्रतंया कुरूते नारी सौभाग्य काम्यया। 
सौभाग्यं पुत्रपौत्रादि लभते सुस्थिरां श्रियम्।।' 
- चांद को देखने के बाद यानि चंद्रमा पूजन के पश्चात अपने पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलना चाहिए।

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