Sharad purnima 2025: अश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। इसे कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा तथा कोजागरी लक्ष्मी पूजा भी कहते हैं। वर्ष 2025 में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर, दिन सोमवार को मनाई जा रही है। इस दिन चंद्रमा के प्रकाश में खीर को रखने से वह अमृत के समान बनकर सेहत संबंधी लाभ देती और इसी दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से सभी तरह के चंद्र दोष दूर हो जाते हैं। यह रात इसलिए खास है क्योंकि माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणें पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करती हैं। चलिए जानते हैं कि शरद पूर्णिमा का चांद कब निकलेगा, कैसे दें चंद्रमा को अर्घ्य और क्या क्या है इसके फायदे?
शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय- समय अनुसार शाम 05:27 बजे। (यह समय अलग-अलग शहरों में थोड़ा भिन्न हो सकता है)
चंद्रमा को अर्घ्य कैसे दें (विधि)?
चंद्रमा को अर्घ्य देना (जल चढ़ाना) इस दिन का एक महत्वपूर्ण विधान है।
सामग्री: एक कलश या लोटा (तांबे का होना शुभ माना जाता है), शुद्ध जल, थोड़ा सा कच्चा दूध, चावल (अक्षत), सफेद फूल (जैसे चमेली), मिश्री या चीनी, चंदन पाउडर आदि।
1. मानसिक शांति: चंद्रमा मन का कारक माना जाता है। इस दिन अर्घ्य देने से मानसिक तनाव दूर होता है और मन शांत रहता है।
2. स्वास्थ्य लाभ: मान्यता है कि पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं। अर्घ्य और चंद्र दर्शन से शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है।
3. सुख-समृद्धि: शरद पूर्णिमा को कोजागरी लक्ष्मी पूजा के लिए भी जाना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने से माता लक्ष्मी और चंद्र देव दोनों प्रसन्न होते हैं, जिससे धन और समृद्धि में वृद्धि होती है।
4. चंद्र दोष का निवारण: जिनकी कुंडली में चंद्र दोष होता है, उनके लिए इस दिन चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
5. सौभाग्य में वृद्धि: इस रात व्रत रखने और विधिवत पूजा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।