Karwa chauth mata ki katha in hindi: उत्तर भारत में करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा है। सुहागन महिलाएं अपने पति की सेहत और लंबी उम्र की कामना से तब तक निर्जला व्रत रखती है जब तक की चांद नहीं निकल जाता है। इसे व्रत को कुंआरी लड़कियां मनोवांछित पति की प्राप्ति या मंगेतर की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। 01 नवंबर 2023 को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। क्या आप जानते हैं कि क्या है करवा चौथ की पौराणिक कथा या कहानी?
करवा चौथ माता की कथा:
1. पौराणिक कथाओं में एक जोर जहां माता पार्वती अपने पति शिवजी को पाने के लिए तप और व्रत करती है और उसमें सफल हो जाती है तो दूसरी ओर सावित्री अपने मृत पति को अपने तप के बल पर यमराज से भी छुड़ाकर ले आती है। यानी स्त्री में इतनी शक्ति होती है कि वो यदि चाहे, तो कुछ भी हासिल कर सकती है। इसीलिए महिलाएं करवा चौथ के व्रत के रूप में अपने पति की लंबी उम्र के लिए एक तरह से तप करती हैं।
2. यह भी कहा जाता है कि करवा नाम की एक पतिव्रता स्त्री के नाम पर ही करवा चौथ का नाम करवा चौथ पड़ा है। कहते हैं कि करवा नाम की पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी के किनारे के गांव में रहती थी। एक दिन उसका पति नदी में स्नान कर रहा था तभी एक मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। वह मनुष्य करवा-करवा कह के अपनी पत्नी को पुकारने लगा।
यमराज बोले, 'लेकिन अभी मगरमच्छ की आयु शेष है, अतः मैं उसे नहीं मार सकता। इस पर करवा बोली, 'अगर आप ऐसा नहीं करोगे तो मैं आप को श्राप देकर नष्ट कर दूंगी।' सुनकर यमराज डर गए और उन्होंने मगरमच्छ को यमपुरी भेज दिया और करवा के पति को दीर्घायु रहने का आशीर्वाद दे दिया। तभी से उस महिला को करवा माता कहने लगे।