कविता : दीपों का त्योहार

मंगलवार, 14 अक्टूबर 2014 (12:54 IST)
- अम्बरीष दुबे
 

 
आया दीपों का त्योहार।
 
लाया खुशियों का उपहार।।
 
जले फुलझड़ी जले अनार।
 
बच्चों का प्यारा त्योहार।
 
खील-बताशों की भरमार।।
 
सजे आंगने, घर और द्वार। 
 
अमीर-गरीब हो या लाचार।।

सबके मन भाता त्योहार।
साभार - देवपुत्र 

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