फनी कविता : जूता चोर चूहा

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

बुधवार, 13 अगस्त 2014 (12:17 IST)
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चूहा चाचा गए बाग में,
फूल तोड़ने जूही के।
वहीं पेड़ के नीचे देखे,
जूते किसी बटोही के।

फूल तोड़ना भूले चाचा,
पहिने जूते घर आए।
किंतु हाय जूते थे मोटे,
बिल में नहीं समा पाए।

खोज बीन पर जूते पाए,
चाचाजी के दरवाजे।
पहुंची पुलिस बजाए डंडे,
चूहे जी डरकर भागे।

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