बाल कविता : मूंगफली

-रमेशचंद्र पंत

 
खाने में लगती है सबको ही खूब भली,
आया है जाड़ा और लाया है मूंगफली।
 
कहने को सस्ती है बिकती हर नुक्कड़ पर,
काजू से नहीं तनिक कम है यह मूंगफली।
 
सबका ही तन-मन यह रखती है पुष्ट खूब,
सचमुच में मेवा है जाड़े की मूंगफली।
 
अक्सर ही छील-छील मिलकर सब खाते,
स्रोत बहुत अद्भुत है ऊर्जा का मूंगफली।
 
कच्ची न खाकर यदि इसको हम भून लें,
सोंधी, स्वादिष्ट बहुत लगती है मूंगफली।
 
साभार- देवपुत्र 
 

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