फनी कविता : नंगों से दुनिया डरती है...

सुबह-सुबह से चड्डी उठकर,
बोली मुझको पहनो। 


 
जाग हो गई सूरज आया,
अब नंगे न घूमो।
 
पापाजी ने लुंगी पहनी,
पहन लिया है कुर्ता। 
कुर्ता-लुंगी के कारण ही,
घर भर उनसे डरता। 
 
दादीजी ने दादाजी को,
नया लुअर पहनाया। 
इसी लुअर में मजे-मजे में,
बड़ा पार्क घुमवाया। 
 
मुन्ना बोला मुझको तो बस,
नंगा रहना आता। 
नंगों से दुनिया डरती है,
जन-गण यही बताता।

 

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