बाल कविता : दिवाली पर...

- डॉ. देशबंधु शाहजहांपुरी


 

 
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।
लिपा-पुता होगा घर-आंगन,
द्वारे-द्वारे गेरू वंदन।
 
दीप जलेंगे तब भागेगा,
अंधियारा डरकर।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।
 
खूब जलाएंगे हम सब मिल,
महताबें, फुलझड़ियां।
बिखर जाएंगी धरती पर ज्यों,
हों फूलों की लड़ियां।
 
उड़ जाएंगे दूर गगन में,
रॉकेट सर सर सर...।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।
 
गांवों के ऐसे गरीब जो,
नहीं मिठाई खाते।
दीप पर्व पर ही बेचारे,
भूखे ही सो जाते।
 
खील‍-खिलौने बांटेंगे हम
उनको जी भरकर।
जाएंगे दिवाली पर हम,
नानीजी के घर।
साभार- देवपुत्र 

 

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