दशहरा पर्व पर कविता : वर्तमान का दशानन

- अजहर हाशमी 
 
दशहरा का तात्पर्य, 
सदा सत्य की जीत।
 
गढ़ टूटेगा झूठ का, 
करें सत्य से प्रीत॥
 
सच्चाई की राह पर, 
लाख बिछे हों शूल। 
 
बिना रुके चलते रहें, 
शूल बनेंगे फूल॥
 
क्रोध, कपट, कटुता, 
कलह, चुगली अत्याचार।
 
दगा, द्वेष, अन्याय, 
छल, रावण का परिवार॥ 
 
राम चिरंतन चेतना, 
राम सनातन सत्य।
 
रावण वैर-विकार है, 
रावण है दुष्कृत्य॥
 
वर्तमान का दशानन, 
यानी भ्रष्टाचार।
 
आज दशहरा पर करें, 
हम इसका संहार॥

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