- अशोक शास्त्री 'अनंत'
चाहते हम हर तरफ ही हर्ष हो, उत्कर्ष हो,
साधना, आराधना, तप-त्यागमय नववर्ष हो।
जो हो सच्चा और अच्छा, पथ वही अपनाएं हम,
सबसे प्रति हो सहृदयता, कपट मन ना लाएं हम।
संयमित जीवन रहे और धर्ममय हो आचरण।
खुद जिएं औरों को भी जीने का दें हम हौसला,
पेड़-पौधे, फूल-फल, पक्षी बनावें नित घोंसला।
मानवी मूल्यों में ही विश्वास अपना हो सदा,
सारे भारतीय मिलकर के मनाएं प्रतिपदा।