होली पर मजेदार कविता : देखो-देखो होली है आई

Webdunia
Holi Hindi Kavita
 
- श्रीमती ममता असाटी
 
देखो-देखो होली है आई
चुन्नू-मुन्नू के चेहरे पर खुशियां हैं आई
मौसम ने ली है अंगड़ाई।
 
शीत ऋतु की हो रही है बिदाई
ग्रीष्म ऋतु की आहट है आई
सूरज की किरणों ने उष्णता है दिखलाई
देखो-देखो होली है आई। 
 
बच्चों ने होली की योजना खूब है बनाई
रंगबिरंगी पिचकारियां बाबा से है मंगवाई 
रंगों और गुलाल की सूची है रखवाई
जिसकी काका ने अनुमति है नहीं दिलवाई।
 
दादाजी ने प्राकृतिक रंगों की बात है समझाई
जिस पर सभी बच्चों ने सहमति है जतलाई
बच्चों ने खूब मिठाइयां खाकर शहर में खूब धूम है मचाई
देखो-देखो होली है आई।
 
होली ने भक्त प्रहलाद की स्मृति है करवाई
बच्चों और बड़ों ने कचरे और अवगुणों की होली है जलाई
होली ने कर दी है अनबन की सफाई
जिसने दी है प्रेम की जड़ों को गहराई।
 
बच्चों! अब है परीक्षा की घड़ी आई
तल्लीनता से करो पढ़ाई वरना सहनी पड़ेगी पिटाई
अथक परिश्रम, पुनरावृत्ति देगी सफलता
अपार जन-जन की मिलेगी बधाई
होगा प्रतीत ऐसा होली-सी खुशियां हैं फिर लौट आई
देखो-देखो होली है आई।
 
साभार- देवपुत्र 

ALSO READ: होली गीत : फागुन मस्त महीना आयो

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख