सांसों की गिनती कम हो रही है
मृत्यु जीवन की ओर बढ़ रही है
सभी अपने पराये से लग रहे हैं
माना कि मंजिल दूर है
फिर भी बिना किसी के सहारे
चलता रहूंगा, चलता रहूंगा।
हे ईश्वर बोझ न बनूं किसी पर
रहूं अपने सहारे इस जमीं पर
किंचित अभिमान न रहे मन में
स्वाभिमान जिंदा रहे इस तन में