रिमझिम बारिश पर कविता : बादल

- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' 


 

 
पानी लेकर बादल आए,
आसमान पर जमकर छाए।
 
रिमझिम-रिमझिम बरसेंगे, 
गढ़-गढ़कर बादल गाए।
 
पेड़, पौधे, वृक्ष जहां मिलेंगे 
वहां बरसे, बादल इतराए।
 
मन मयूर सबका नाचे
बादल भी नाचे, शरमाए।
 
जल ही तो जीवन है 
जीवन अपना खूब लुटाए।

वेबदुनिया पर पढ़ें