कविता : मैं लड्डू ले आऊं, तो उसको खा लेना तुम

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2014 (15:11 IST)
तुम्हारी कविता
 
-डॉ. श्रीप्रसाद, वाराणसी
अगर एक कविता मैं लिख लूं
तो उसको गा देना तुम
अगर एक लड्डू ले आऊं
तो उसको खा लेना तुम
 
अगर एक बिल्ली मैं पालूं
तो तुम उसे डराना मत
अगर कहीं बंदर बैठा हो 
तो तुम उसे चिढ़ाना मत
 
अगर कहीं कोयल गाती हो
उसकी सुनना बोली तुम
अगर साथ खेले कोई
बनना उसके हमजोली तुम।
(यह कविता हमें 'प्रभात' ने भेजी है जयपुर से)
 

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