बारिश पर कविता : धरणी लागे अति प्यारी...

बरखा रानी के आते ही, 
छाई कुल हरियाली। 
हरे-भरे हैं बाग-बगीचे, 
धरणी लागे अति प्यारी।
 
भ्रमर नृत्य कलियों पर करता, 
सुना-सुना के तान। 
पुष्प निहारे भ्रमर राज को, 
बन उनकी पहिचान।
 
मोर मगन हो बन में नाचे, 
चहक रही सब क्यारी। 
हरे-भरे हैं बाग-बगीचे, 
धरणी लागे अति प्यारी।
 
बदरा कड़के अम्बर बरसे, 
चम-चम-चम जुगनू चमके। 
यौवन उधम मचाए अब तो, 
खन-खन-खन कंगन खनके। 
 
जब किसान खेतों को देखे, 
मन में होवे खुशहाली। 
हरे-भरे हैं बाग-बगीचे, 
धरणी लागे अति प्यारी।
 

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