बारिश पर कविता : बरसे बादल...

- परमानंद शर्मा 'अमन' 
 
झूम-झूम कर बरसे बादल।
गरज-गरज कर बरसे बादल॥
 
समन्दर से भर कर पानी।
घूमड़-घूमड़ कर बरसे बादल॥
 
काले, भूरे और घने ये।
सब हिल-मिलकर बरसे बादल॥
 
खेत, खलिहान, नदी, नालों पर।
ठहर-ठहर कर बरसे बादल॥
 
जीवन, जहीर और जॉन के।
खुले सिर पर बरसे बादल॥
 
प्रेम-प्यार और अमन चैन का।
आंचल भर कर बरसे बादल॥
 

वेबदुनिया पर पढ़ें