कविता : भारत के वीर सपूत

तेईस मार्च को तीन वीर,
भारतमाता की गोद चढ़े।
स्वतंत्रता की बलवेदी पर,
तीनों के गर्वित शीश चढ़े।
 
रंगा बसंती चोला था,
भारत के वीर सपूतों ने।
माता का अपमान किया था,
उन गोरों की करतूतों ने।
 
नहीं सहन था भगत सिंह को,
भारत का सिर झुक जाना।
कुछ जीवन सांसों के बदले में,
स्वतंत्रता को बंदी रखना।
 
असेम्बली में बम फेंककर,
भगत सिंह ने जतलाया।
भारत के वीर सपूतों का,
छप्पन इंच सीना दिखलाया।
 
राजगुरु-सुखवीर शेर थे,
मौत को चले गए चुनने।
भारतमाता की खातिर,
फांसी को चूमा था उनने।
 
वीर भगत की हुई शहादत,
रोता हिन्दुस्तान था।
भारतमाता के चरणों में,
ये अनुपम बलिदान था।

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