* लघुकथा : जमीन-आसमान
- मीरा जैन
15 अगस्त के अवसर पर एक विदेशी सामाजिक संस्था के प्रमुख भारत के सबसे बड़े बाल आश्रम में झंडावंदन के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। कार्यक्रम समाप्ति के पश्चात उन्होंने उपस्थित बाल समुदाय से पूछा- प्यारे बच्चों! मैं आप सबके बीच आज इसलिए उपस्थित हुआ हूं कि आपकी जरूरतों को पूरी करने में आप सभी की कुछ मदद कर सकूं, क्योंकि हमारी संस्था का मुख्य उद्देश्य ही आप जैसे अनाथ व बेसहारा बच्चों को सहारा देना है।
हां-हां बोलो बेटा, क्या बात है?
पूर्ण आत्मविश्वास के साथ उसने तिरंगे झंडे की ओर इशारा करते हुए कहा- काका, जिनके सिर तिरंगा लहरा रहा हो, वे भला अनाथ व बेसहारा कैसे हो सकते हैं?