शिवाजी महाराज के पिता का नाम शाहजी था। वह अक्सर युद्ध लड़ने के लिए घर से दूर रहते थे। इसलिए उन्हें शिवाजी के निडर और पराक्रमी होने का अधिक ज्ञान नहीं था।
किसी अवसर पर वे शिवाजी को बीजापुर के सुलतान के दरबार में ले गए। शाहजी ने तीन बार झुक कर सुलतान को सलाम किया और शिवाजी से भी ऐसा ही करने को कहा। लेकिन, शिवाजी अपना सिर ऊपर उठाए सीधे खड़े रहे।
एक विदेशी शासक के सामने वह किसी भी कीमत पर सिर झुकाने को तैयार नहीं हुए। इतना ही नहीं किसी शेर की तरह शान से चलते हुए दरबार से वापस चले गए।
इसीलिए छत्रपति शिवाजी महाराज को एक कुशल और प्रबुद्ध सम्राट के रूप में जाना जाता है।