यहाँ तैयार होते हैं पेट्रोलियम इंजीनियर

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1997 में जब भारतीय तेल उद्योग के अविनियमन हेतु ब्लूप्रिंट की घोषणा हुई, सारी दुनिया यहाँ इस व्यवसाय से जुड़ी अपार संभावनाओं को तलाशते हुए उसके दोहन के लिए प्रयास करने लगी।

पहले जहाँ भारतीय पेट्रोलियम उद्योग पर सरकार का नियंत्रण था, वहीं निजीकरण के लिए द्वार खुल जाने से यह क्षेत्र संभावनाओं से परिपूर्ण हो गया तथा ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दुनियाभर की तेल कंपनियाँ अपने-अपने ब्रांडेड पेट्रोलियम उत्पाद लेकर हाजिर हो गईं और देखते-देखते इस क्षेत्र में करियर निर्माण के शानदार अवसर दिखाई देने लगे।

आईपीटीजी के कार्यक्रम : आईपीटीजी अर्थात इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी, गाँधीनगर द्वारा पेट्रोलियम तथा एलाइड एनर्जी इंजीनियरिंग में बी.टेक, एम.टेक तथा डाक्टोरल प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं।

पूर्णकालिक कार्यक्रमों के अलावा आईपीटीजी वर्किंग एक्जीक्यूटिव तथा अन्य प्रोफेशनल्स के लिए अल्पकालीन सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी संचालित किए जा रहे हैं ताकि वे तेल तथा गैस उद्योग में दिन-प्रतिदिन हो रहे मैनेजेरियल तथा अनुप्रयोग विकास से अवगत हो सकें तथा अपनी क्षमता और कौशल को अद्यतन बनाए रख सकें।

संस्थान द्वारा निकट भविष्य में पूरी तरह से सुसज्जित रिसर्च तथा डेवलपमेंट केंद्र भी स्थापित किया जा रहा है ताकि पेट्रोलियम उद्योग की प्रचालनात्मक समस्याओं का हल खोजा जा सके।

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पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में 4 वर्षीय बी.टेक/ 5 वर्षीय एम.टेक उपाधि : जुलाई 2008 से आईपीटीजी द्वारा दो शैक्षणिक कार्यक्रम- 4 वर्षीय बी.टेक और 5 वर्षीय डयुअल डिग्री- एम.टेक इन पेट्रोलियम इंजीनियरिंग आरंभ किए गए हैं। इन दोनों पाठ्यक्रमों को युवाओं की सुविधा हेतु काफी लचीला बनाया गया है।

इसका पाठ्यक्रम आधुनिक, लचीला और भविष्य की आवश्यकतानुसार विकसित किया गया है। इसमें ठोस बुनियाद, उद्योग से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने की तकनीकों तथा सतत भागीदारी पर विशेष जोर दिया गया है।

पहले सेमिस्टर से ही आन-शोर तथा ऑफ-शोर ऑपरेशंस के लिए गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कारर्पोरेशन के साथ-साथ ई एंड पी कंपनियों, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों, कंसल्टेंट्स तथा वेंडर्स से भागीदारी की गई है।

इससे नवीनतम विकासों को जोड़कर पाठ्यक्रम के नियम अपडेट की सुनिश्चितता मिलती है, साथ ही प्रचालनात्मक चुनौतियों कासामना कर उससे निपटने में भी मदद मिलती है। इन सभी पाठ्यक्रमों में पेट्रोलियम पदार्थों की खोज तथा उत्पादन पर विशेष सामग्री तैयार कर शामिल की गई है।

इन सभी पाठ्यक्रमों में निम्नलिखित विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया है

* प्रथम वर्ष में छात्रों को मूल तथा द्विपक्षीय सोच के प्रति अभिमुख करने के लिए डिजाइन तथा नवाचारों का परिचय।
* मल्टीडिसिप्लनरी एप्रोच तथा थिंकिंग को इंटिग्रेटेड साइंसेज लेब तथा फेब्रिकेशन टेक्नोलॉजी लेब के माध्यम से प्रोत्साहित करना।
* तीन समर इंटर्नशिप- रूरल इंडस्ट्री तथा रिसर्च के दौरान इंटर्नशिप आरंभ कर भारतीय ग्रामीण तथा शहरी भौगोलिक स्थितियों, औद्योगिक संस्कृति तथा छात्रों के लिए करियर विकल्पों की समझ विकसित करना।
* होलिस्टिक शिक्षा को बेहतर तरीके से प्रशंसित करने के लिए सिस्टम टू कंपोनेट्स की टाप डाउन एप्रोच को अपनाना।

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