पृथ्वी के 'अदृश्य कवच' से वैज्ञानिक चकित

शनिवार, 29 नवंबर 2014 (12:58 IST)
पृथ्वी के वायुमंडल में वैज्ञानिकों को एक असाधारण जानकारी मिली है। इन वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के वातावरण में एक अदृश्य कवच है जो कि धरती से करीब 7200 मील ऊपर है और वैज्ञानिकों का कहना है कि 'स्टार ट्रेक पर बने फोर्स फील्ड्स' जैसा आवरण है।
 
फ्रंट लाइन डेस्क के अनुसार इस आवरण का पता वान एलेन रेडिएशन बेल्टस से पता लगा है जो कि दो गोलाकार में छल्लों के रूप में पृथ्वी के ऊपर है जो कि हाई-एनर्जी इलेक्ट्रान्स और प्रोटोन्स से भरे हैं। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण ये अपने स्थान पर बने रहते हैं, जबकि वान अलेन रेडिएशन बेल्ट्‍स या पट्‍टियां सूरज से आने वाली ऊर्जा की गड़बडि़यों के कारण सिकुड़ती हैं या फैलती हैं। वान एलेन रेडिएशन बेल्ट्‍स को सबसे पहले 1958 में खोजा गया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने तब केवल दो बेल्ट्‍स का पता लगाया था जिनमें से एक अंदरूनी और दूसरी बाहरी थी जो कि पृथ्वी के धरातल से 25 हजार मील तक फैली हुई हैं। 
 
लेकिन, पिछले वर्ष यूनिवर्सिटी ऑफ कोलाराडो बोल्डर के प्रोफेसर डैनियल बेकर और उनकी टीम ने 2012 में दो वान एलेन प्रोब्स लांच किए थे, जिन्होंने पता लगाया था कि एक तीसरी अस्थायी 'स्टोरेज रिंग' भी है। इन लोगों के शोध के अनुसार तीसरी बेल्ट पहले से जानी गईं अंदरूनी और बाहरी वान एलेन रेडिएशन बेल्ट्स के बीच में है। यह बेल्ट अलग है क्योंकि यह अंतरिक्ष के मौसम के अनुसार बनती और गायब हो जाती है। 
 
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शोधकर्ताओं का कहना है कि इस रिंग या वलय का उद्देश्य बिल्कुल स्पष्ट था। इस रिंग का उद्देश्य घातक इलेक्ट्रॉन्स को पृथ्‍वी के वायुमंडल में गहरे तक प्रवेश करने से रोकना है। यह इलेक्ट्रॉन्स प्रकाश के समान गति के कारण अत्यधिक घातक होते हैं और इनसे अंतरिक्षयात्रियों, फ्राई या बहुत छोटे सैटेलाइट्‍स को खतरा होता है और ये स्पेस‍ सिस्टम्स को नुकसान पहुंचाते हैं। 
 
बेकर ने इस अदृश्य शील्ड या कवच की तुलना स्टार ट्रेक फोर्स फील्ड्‍स से की है। पृथ्वी की चुम्बकीय फील्ड के कारण बेल्ट्‍स अपने स्थान पर बनी रहती हैं लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इन बेल्ट्‍स के इलेक्ट्रॉन्स (जो कि करीब करीब प्रकाश की गति से गति करते हैं) को किसी अदृश्य ताकत के द्वारा रोका जा रहा है जो कि उन्हें उस तरह के शील्ड्स की याद दिलाते हैं जो कि टेलीविजन सीरियल स्टार ट्रेक में एलियन एनर्जी 
हथियारों को स्टारशिप्स को भाप बन जाने से रोकते हैं, लेकिन पृथ्वी के मामले में अदृश्य कवच घातक इलेक्ट्रॉन्स को वायुमंडल में प्रवेश करने से रोकते हैं।  
 
विदित हो कि अदृश्य कवच की खोज किए जाने से पहले वैज्ञानिकों का मानना था कि ग्रह के उपरी वायुमंडल में प्रवेश करने वाले इलेक्ट्रॉन्स हवा के परमाणुओं से छितरा जाते हैं, लेकिन अब ऐसा लगता है कि ये कण पृथ्वी की अदृश्य इलेक्ट्रोन कवच के कारण इतने अंदर तक भी नहीं आ पाते हैं। अब वैज्ञानिकों को पता है ‍कि यह अदृश्य कवच या शील्ड मौजूद रहती है। अब वैज्ञानिकों को इस बात का पता लगाना है कि यह कैसे बनी और यह ठीक-ठीक तरीके से किस तरह काम करती है। यह ठीक ऐसा है जैसे कि ये इलेक्ट्रॉन अंतरिक्ष में एक कांच की एक दीवार से टकरा रहे हैं, लेकिन यह एक वास्तव में आश्चर्यजनक और अद्‍भुत घटना है।

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