फ्रंट लाइन डेस्क के अनुसार इस आवरण का पता वान एलेन रेडिएशन बेल्टस से पता लगा है जो कि दो गोलाकार में छल्लों के रूप में पृथ्वी के ऊपर है जो कि हाई-एनर्जी इलेक्ट्रान्स और प्रोटोन्स से भरे हैं। पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के कारण ये अपने स्थान पर बने रहते हैं, जबकि वान अलेन रेडिएशन बेल्ट्स या पट्टियां सूरज से आने वाली ऊर्जा की गड़बडि़यों के कारण सिकुड़ती हैं या फैलती हैं। वान एलेन रेडिएशन बेल्ट्स को सबसे पहले 1958 में खोजा गया था, लेकिन वैज्ञानिकों ने तब केवल दो बेल्ट्स का पता लगाया था जिनमें से एक अंदरूनी और दूसरी बाहरी थी जो कि पृथ्वी के धरातल से 25 हजार मील तक फैली हुई हैं।
लेकिन, पिछले वर्ष यूनिवर्सिटी ऑफ कोलाराडो बोल्डर के प्रोफेसर डैनियल बेकर और उनकी टीम ने 2012 में दो वान एलेन प्रोब्स लांच किए थे, जिन्होंने पता लगाया था कि एक तीसरी अस्थायी 'स्टोरेज रिंग' भी है। इन लोगों के शोध के अनुसार तीसरी बेल्ट पहले से जानी गईं अंदरूनी और बाहरी वान एलेन रेडिएशन बेल्ट्स के बीच में है। यह बेल्ट अलग है क्योंकि यह अंतरिक्ष के मौसम के अनुसार बनती और गायब हो जाती है।