15 दिन अंधेरे में डूबी रहेगी धरती..!

सोमवार, 5 अक्टूबर 2015 (07:02 IST)
आजकल यह 'खबर' बहुत प्रचारित हो रही है कि इस वर्ष नवंबर में 15 दिनों के लिए हमारी धरती अंधेरे में डूब जाएगी। इस खबर को लेकर यह भी दावा किया जा रहा है कि अमेरिका के अंतरिक्ष संगठन नासा ने इस संभावित घटना की पुष्टि की है और यह दावा भी किया जा रहा है कि इस तरह की घटना दस लाख वर्ष के बाद होती है। इसका अर्थ है कि दुनिया के सभी जीवित प्राणियों के लिए संभवत: पहली और अंतिम बार होगा।
नासा की एक 'रिपोर्ट' के अनुसार यह एक हजार पन्नों की रिपोर्ट नासा ने व्हाइट हाउस के लिए तैयार की थी। इसके अनुसार रविवार 15 नबंवर 2015 के दोपहर 3 बजे से लेकर सोमवार 30 नबंवर 2015 के 4 बजकर 15 मिनट तक पूरी तरह अंधेरा रहेगा। इस घटना को 'एस्टॉनोमिकल ईयर' या 'नवंबर ब्लैक आउट' के नाम से भी बताया जाता है। 
 
इस घटना के साथ यह दावा भी किया जा रहा है कि अंतरिक्ष में शुक्र ग्रह और बृहस्पति के कारण ऐसा होता है और अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की पूरी टीम इस घटना पर गहन अध्ययन कर रही है, लेकिन एक वेबसाइट पर इस आशय का भी दावा किया जा रहा है कि सितंबर में हुए चंद्रग्रहण के बाद नासा ने खुद ही इस खबर का खंडन किया है। एक प्रेस विज्ञप्ति‍ जारी करते हुए नासा ने दावा किया है कि उसकी ओर से ऐसी कोई सूचना जारी नहीं की गई है।
 
एक दावा यह भी है... पढ़ें अगले पेज पर....
 

हालांकि जिस वेबसाइट 'न्यूजवाच33 डॉट कॉम' में इस आशय का समाचार दिया गया है, का दावा है कि नासा ने इस घटना की पुष्टि की है। इसके एक समाचार में यह दावा भी किया गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से इस घटना की जानकारी संबंधी विवरण जुटाने वाले वैज्ञानिक दल के नेता, चार्ल्स बोल्डन ने ओबामा प्रशासन के साथ इस संभावित घटना के बड़े प्रभावों को लेकर बात की है।
 
उनका कहना है कि इस तरह की घटना से पृथ्वी पर मात्र इतना प्रभाव पड़ेगा कि तापमान में 6 से 8 डिग्री की बढ़ोतरी होगी। यह इस तरह का अनुभव होगा जिसे अलास्का में रहने वाले लोग सर्दियों में अनुभव करते हैं।   
 
पर इस बात की सोशल मीडिया में बहुत चर्चा है और 'हैशटैग नवंबरब्लैकआउट' के जरिए इस बात की चर्चा कर रहे हैं कि इस बड़ी घटना को लेकर उनकी क्या भावनाएं और योजनाएं हैं? इस मामले में सच क्या है, यह तो नियत समय पर पता लगेगा लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस परस्पर विरोधाभाषी खबर से लोगों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। यह समाचार कितना सही या गलत साबित हो सकता है कि यह आप तस्वीरों और वीडियोज के जरिए स्वयं तय करें तो अधिक बेहतर होगा।

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