लोग लोग अपने कर्म से ज्यादा भाग्य पर भरोसा करते हैं। हाथों में भाग्य रेखाएं होती हैं, उसी तरह कुंडली में नौवां स्थान भाग्य का माना गया है। हालांकि कर्म और भाग्य दोनों ही एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। कर्म के सिद्धांत को समझे बगैर आप भाग्य को नहीं समझ सकते हैं। यदि किसी से यह कहा जाए कि भाग्य जैसा कुछ नहीं होता तो वह ऐसे कई उदाहरण बता देगा जिसमें भाग्य का रोल रहा है, जैसे किसी की लॉटरी खुल जाना, अचानक किसी का मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बन जाना, आसमान से गिरने के बाद में भी सही-सलामत बच जाना आदि। खैर...
हाथों में भाग्य रेखा- हाथों में भाग्य रेखा होती है। राहु या केतु पर्वत से निकलकर शनि या गुरु पर्वत की ओर जाने वाली रेखा को भाग्य रेखा कहते हैं। भाग्य रेखा यदि सरल और स्पष्ट है तो व्यक्ति का भाग्य साथ देगा लेकिन यह रेखा यदि टूटी-फूटी और अस्पष्ट है तो कर्म पर ही निर्भर रहना होगा। यह भी मान्यता है कि यदि यह रेखा कलाई से निकलकर गुरु पर्वत में मिल जाए तो व्यक्ति बहुत ही ज्यादा भाग्यशाली होता है लेकिन शनि पर्वत में मिल जाए तो भाग्य की कोई ग्यारंटी नहीं। लेकिन यदि आपके हाथ में यह रेखा है ही नहीं तो फिर क्या करें?
कुंडली में भाग्य- कुंडली में नवम भाग को ज्योतिष में भाग्य और लाल किताब में धर्मी भाव माना जाता है। नवम भाव का स्वामी गुरु होता है जिसे नवमेश या भाग्येश कहते हैं। मतलब यह कि आपकी कुंडली में नवम भाव और नवमेश शुभ नहीं है, तो उन पर शुभ ग्रहों का प्रभाव नहीं है या सोए हुए हैं तो आपको जीवनभर संघर्ष ही करते रहना होगा।
कैसे सोया रहता है भाग्य?
लाल किताब के अनुसार जिस घर में कोई ग्रह न हो तथा जिस घर पर किसी ग्रह की दृष्टि नहीं पड़ती है तो उसे सोया हुआ घर माना जाता है। जो घर सोया हुआ होता है उस घर से संबंधित फल तब तक प्राप्त नहीं होता है, जब तक कि वह घर जागता नहीं है। यदि आपका नवम घर या भाव सोया है तो समझो कि भाग्य सोया हुआ है।
अब यदि आपको यह पता चलता है कि आपकी कुंडली में नवम भाव में कोई ग्रह नहीं है और उस भाव पर किसी ग्रह की दृष्टि भी नहीं पड़ रही है और उस भाव का ग्रह किसी शत्रु भाव में बैठा है तो मतलब यह कि भाग्य सोया हुआ या कमजोर है। ऐसे में उसके यहां सामान्य उपाय बताए जा रहे हैं।
कैसे जगाएं नवम भाव या नवमेश को?
लाल किताब के अनुसार गुरु यदि छठे, सातवें, आठवें और दसवें घर में है तो वह अशुभ फल देगा। अत: कम से कम इस भाग में बैठे गुरु के उपाय तो करना ही चाहिए। दूसरा यह कि यदि गुरु नवम भाव में बैठे हैं तो सावधानी रखना जरूरी होती है अन्यथा व्यक्ति अपने जागे हुए भाग्य को अपने कर्मों से सुला देता है। तो करें ये उपाय।
हालांकि लाल किताब के अनुसार संपूर्ण जन्म पत्रिका का विश्लेषण करने के बाद ही उपाय बताए जाते हैं इसीलिए यहां भाग्य को जगाने के लिए सामान्य उपाय ही बताए जा रहे हैं। लाल किताब का विशेषज्ञ सोए हुए ग्रहों की दृष्टि देखकर उन्हें जगाने के उपचार बताते हैं। कौन से भाव को किस ग्रह के द्वारा जगाया जाता है, इसे जानने से पहले यह जानना जरूरी होता है कि उसे देखे जाने वाले भाव के अंदर कौन सा ग्रह स्थापित है। हो सकता है कि किसी ग्रह को जगाने पर अनर्थ भी हो जाए इसलिए हमेशा भाव को सही रूप से समझकर ही जगाना चाहिए।
1.छठे भाव के गुरु का उपाय:-
गुरु यदि छठे भाव में बैठा है तो लाल किताब के अनुसार वह मुफ्तखोर साधु माना गया है। केतु बारहवें में बैठा शुभ हो तो ही दौलतमंद बन सकता है। यदि शनि शुभ हो तो आर्थिक हालात ठीक होगी। बहन, मौसी, बुआ से अच्छा व्यवहार रखें। मेहनत से कमाए पर ही गुजारा करें। लापरवाही और आलस्य को त्याग दें। प्राप्त चीजों की कदर करें। बुध का उपाय करेंगे तो भाग्य जाग जाएगा। मुर्गे को दाना देने से भी राहत मिलती है। पुजारी को कपड़े भेंट कर सकते हैं।
2.सातवें भाव के गुरु का उपाय:-
सातवें भाव में गुरु है तो घर में मंदिर रखना या बनाना मतलब परिवार की बर्बादी समझे। कपड़ों का दान करना वर्जित। पराई स्त्री से संबंध न रखें। साधु और फकीरों से दूर रहें, उन्हें किसी भी प्रकार का दान न दें। सोए हुए सातवें घर के लिए शुक्र को जगाना होता है। शुक्र को जगाने के लिए आचरण की शुद्धि सबसे आवश्यक है।
3.आठवें भाव के गुरु का उपाय:-
गुरु यदि आठवें भाव में है तो लाल किताब के अनुसार इसे श्मशान में बैठा साधु कहा गया है। यदि दूसरे भाव में गुरु के सहयोगी ग्रह हैं, तो लाभ होगा। नहीं है तो सोना पहनने से जल्दी लाभ मिलता है। दूसरा यह कि रोज हनुमान चालीसा पढ़ेंगे, श्मशान में पीपल का पेड़ लगाएंगे और राहु का उपाय करेंगे तो भाग्य जाग जाएगा।
4.नवें भाव के गुरु का उपाय:-
नौवें भाव में केतु उच्च का और राहु नीच का माना गया है। यदि आपकी कुंडली में यह स्थिति है तो भाग्य पर अशुभ ग्रह स्थित है। हो सकता है कि इस स्थान पर अशुभ या क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो या गुरु पर अशुभ ग्रहों की दृष्टि या गुरु शत्रु भाव में बैठा हो तो भाग्य कमजोर होगा और जातक को भाग्य का सहयोग प्राप्त नहीं होगा। अर्थात उसे उसके भाग्य से कुछ भी नहीं मिलेगा।
नौवें भाव के लिए गुरु का उपाय करना होता है। यदि नौवें भाव में पहले से ही गुरु ग्रह हैं तो अति उत्तम लेकिन धर्म विरुद्ध आचरण बर्बादी का कारण बन सकता है। मतलब यह कि मांस-मदिरा से दूर रहेंगे, सत्य बोलेंगे और पिता, दादा, ईश्वर और कुल देवता में श्रद्धा रखेंगे तो भाग्य जाग जाएगा। दूसरा यह कि नवम भाव सोया हुआ है तो प्रति गुरुवार के दिन पीला वस्त्र धारण करें, सोना पहनें और केसर का तिलक लगाएं।
5.दसवें भाव के गुरु का उपाय:-
दसवें भाग में गुरु का होना लाल किताब के अनुसार सबसे खराब माना जाता है। इससे पूर्व जन्मों और पितृदोष का पता चलता है। यदि गुरु दसवें भाव में नीच का हो रहा है, तो शनि का उपाय करना होगा। दसवें भाव के लिए घर से पूजाघर हटा दें और शराब को छुएं भी नहीं। कोई भी काम शुरू करने से पहले अपनी नाक साफ करें। माथे पर केसरिया तिलक लगाते रहेंगे तो भाग्य जाग जाएगा। इसके अलावा यदि आपका घर उत्तर दिशा में है तो गुरु का बल बढ़ेगा।