लाल किताब के अनुसार पूर्व मुखी मकान के 6 रहस्य, होता है भयंकर नुकसान

अनिरुद्ध जोशी

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019 (16:12 IST)
बुहत से लोग पूर्व दिशा के मकान में रहते हैं, लेकिन यह कैसे तय होगा कि वह पूर्व दिशा का ही मकान है? आप कहेंगे कि दिशा सूचक यंत्र से दिशा जान लेंगे या जिस दिशा से सूर्य निकलता है तो यह सिद्ध होता है कि यह पूर्व दिशा का मकान है। लेकिन इसके अलावा भी ऐसा बहुत कुछ है जिससे यह तय होता है कि आप सूर्य या पूर्व के मकान में रहते हैं। आओ जानते हैं लाल किताब का रहस्यमयी ज्ञान।
 
 
सूर्य पिता, पितृ, आत्मा आत्मा, आरोग्य, स्वभाव, राज्य, देवालय का सूचक एवं पितृ कारक है। दिमाग समेत शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित होता है।  कहते हैं कि पूर्व का मकान अच्छा होता है लेकिन घर की पूर्व दिशा यदि दूषित है तो निम्नलिखित परेशानी और रोग उत्पन्न होता है।
 
 
1.यदि आप फ्लैट में रह रहे हैं तो वहां वस्तु के नियम बदल जाएंगे। अधिकतर फ्लैट में मुख्‍य दरवाजा लॉबी में खुलता है तो उससे यह तय नहीं होगा कि आपकी मकान की दिशा क्या है। दरअसल, जिधर से हवा और प्रकाश हा रहा है वह दिशा ही आपके मकान की दिशा मानी जाएगी।
 
 
2.लाल किताब के अनुसार पूर्व के मकान में पानी का स्थान मकान के गेट में दाखिल होते ही दाएं हाथ पर होना चाहिए और बड़ा-सा दरवाजा प्रकाश का रास्ता होना चाहिए। यदि यहां मकान के पास तेज फल का वृक्ष लगा हो तो यह सूर्य का मकान माना जाएगा।
 
 
3.पूर्व दिशा पिता का स्थान भी होता है इसलिए यदि पूर्व दिशा बंद, दबी और ढकी हो तो गृहस्वामी कष्टों से घिर जाता है।
 
 
4.पूर्व दिशा में दोष या जन्मपत्री में सूर्य के पीड़ित होने पर पिता से संबंधों में कटुता रहती है। सरकार से परेशानी हो सकती है। राज दंड का भय रहता है। पितृ दोष लगता है।
 
 
5.इस दिशा के दूषित होने से व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है। शरीर में अकड़न आ जाती है। मुंह में थूक बना रहता है। दिल का रोग हो जाता है, जैसे धड़कन का कम-ज्यादा होना। मुंह एवं दांतों में तकलीफ हो जाती है। बेहोशी का रोग हो जाता है और सिरदर्द बना रहता है।
 
 
6.गुरु, देवता और पिता साथ छोड़ देते हैं। राज्य की ओर से दंड मिलता है। नौकरी चली जाती है। सोना खो जाता है या चोरी हो जाता है। यदि घर पर या घर के आस-पास लाल गाय या भूरी भैंस है तो वह खो जाती है या मर जाती है। यदि सूर्य और शनि एक ही भाव में हो तो घर की स्त्री को कष्ट होता है। यदि सूर्य और मंगल साथ हो और चन्द्र और केतु भी साथ हो तो पुत्र, मामा और पिता को कष्ट।
 
 
उपाय : इसके लिए किसी वास्तु शास्त्री के अनुसार पहले पूर्व दिशा का दोष दूर करें और फिर लाल किताब के अनुसार सूर्य के उपाय करें।
 

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