कुंडली अनुसार -
- लाल किताब के अनुसार जब कुण्डली में बृहस्पति 2, 5, 9, 12 भावों से बाहर हो जोकि बृहस्पति के पक्के घर है तथा बृहस्पति स्वयं 3, 6, 7, 8, 10 भाव में और बृहस्पति के पक्के घरों (2,5,9,12) में बुध या शुक्र या शनि या राहु या केतु बैठा हो तो व्यक्ति पितृ ऋण से पीडित होता है। जबकि वैदिक ज्योतिष में सूर्य का राहु, केतु या शनि के साथ होने या दृष्टि होने पर पितृदोष माना जाता है।