बृहस्पति ग्रह से संबंधित रत्न पांच रंगों में पाया जाता है- हल्दी रंग में, केशर/केशरिया, नीबू के छिलके के रंग का, स्वर्ण के रंग का तथा सफेद-पीली झांई वाला। चौबीस घंटे तक दूध में रखने पर यदि क्षीणता एवं फीकापन न आए तो असली होता है। चिकना, चमकदार, पानीदार, पारदर्शी एवं व्यवस्थित किनारे वाला पुखराज दोषरहित होता है। इसे ही धारण करना चाहिए। दोष वाला पुखराज धारण न करें। आओ जाते हैं कि लाल किताब के अनुसार किसे धारण करना चाहिए पुखराज।
धारण करने के लाभ : पुखराज धारण करने से प्रसिद्धि मिलती है। प्रसिद्धि से मान-सम्मान बढ़ता है। शिक्षा और करियर में यह लाभदायक है। भाग्यवृद्धि, सुख-सौभाग्य, विकास-उन्नति, समृद्धि, पुत्र कामना, विवाह एवं आध्यात्मिक समृद्धि हेतु पुखराज धारण करना चाहिए। गुरु ग्रह जीवनदाता है। यह वसा एवं ग्रंथियों से संबंध रखता है। अतः यह गला रोग, सीने का दर्द, श्वास रोग, वायु विकार, टीबी, हृदय रोग में धारण करने से लाभप्रद होता है। रोगों के लिए पुखराज धारण करने के पहले वैद्य से अवश्य सलाह लें।
2. यदि गुरु चौथे, सातवें या दसवें भाव में है तो पुखराज को धारण करने के लिए लाल किताब के विशेषज्ञ से सलाह लें। गुरु ग्रह के निर्बल होने पर पुखराज धारण करने से उसके शक्तिशाली होने से ऋणात्मक प्रभाव समाप्त हो जाता है।
4. वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला और मकर राशि वालों को पुखराज नहीं पहनना चाहिए।
5. बृहस्पति या गुरु की राशि धनु और मीन राशि वालों के लिए पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वाले लोग यदि पुखराज पहनते हैं तो संतान, विद्या, धन और यश में सफलता मिलती है।
6. पुखराज के साथ पन्ना व हीरा न पहनें; हो सके तो अकेला ही पहनें।
7. 2/7/10 लग्न वाले पुखराज न पहनें। गुरुवार को जन्मे तथा जिनकी कुंडली में कर्क राशि पर सूर्य-चंद्र-गुरु हो अवश्य पहनें।