महात्मा गांधी का एक सपना राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी को प्रतिष्ठित करना भी था। महात्मा गांधी ने कहा था 'राष्ट्रभाषा के बिना कोई भी राष्ट्र गूंगा हो जाता है'। भारत की संसद द्वारा एक अधिनियम पारित करके महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना राष्ट्रपिता की कर्मभूमि वर्धा में की गई।
इस विश्वविद्यालय की स्थापना से भारतेंदु बाबू हरिश्चन्द्र 'अपने उद्योग एक शुद्ध हिन्दी की यूनिवर्सिटी स्थापित करना' की इच्छा भी पूरी हो गई। इस विश्वविद्यालय की स्थापना से हिन्दी की समृद्धि थी जिससे हिन्दी राष्ट्र की भाषा न होकर अंतरराष्ट्रीय भाषा बने। विश्वविद्यालय के एक उद्देश्यों में दुनिया की अन्य भाषाओं में मौजूद ज्ञान भंडार का अनुवाद हिन्दी में कर उसके अध्ययन को सरल बनाना भी था।
वर्तमान की रोजगारोन्मुख और प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को देखते हुए हिन्दी भाषा को नवीन दृष्टि और दिशा देने की लिए विश्वविद्यालय में भाषा विद्यापीठों की स्थापना की गई। इन भाषा विद्यापीठ के अंतर्गत संचालित विभागों/ केंद्रों की आवश्यकता के अनुसार विभागीय प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में चार विद्यापीठ हैं- - भाषा विद्यापीठ - साहित्य विद्यापीठ - संस्कृति विद्यापीठ - अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ
महात्मा गांधी के अध्ययन केंद्र है- - प्रौद्योगिकी अध्ययन केंद्र। - भारतीय एवं विदेशी भाषा प्रगत अध्ययन केंद्र। - बाबा साहेब अम्बेडकर दलित एवं जनजाति अध्ययन केंद्र। - डॉ. अम्बेडकर अध्ययन केंद्र। - महात्मा गांधी फ्यूजी गुरुजी शांति अध्ययन केंद्र। - डॉ. भदंत आनंद कौसल्यायन बौद्ध अध्ययन केंद्र। - डॉ. जाकिर हुसैन अध्ययन केंद्र। - नेहरू अध्ययन केंद्र।