नई दिल्ली। सरकार ने कमजोर तबके को महंगाई से बचाने के लिए कई उपाय किए हैं।
संसद में बुधवार को पेश आर्थिक समीक्षा 2012-13 में कहा गया है कि वर्ष 2002 में गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों को 5.65 रुपए प्रति किलोग्राम तथा अंत्योदय अन्न योजना में 3 रुपए प्रति किलोग्राम चावल देने की जो व्यवस्था शुरू की गई थी उसे इसी दाम पर कायम रखा गया है।
इसी तरह गेहूं 4.15 रुपए प्रति किलोग्राम पर बीपीएल परिवारों को और अंत्योदय अन्न योजना के तहत 2 रुपए प्रति किलोग्राम के दाम पर दिया जा रहा है।
समीक्षा कहती है कि लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत 6.52 करोड़ अंत्योदय अन्न योजना और बीपीएल परिवारों को प्रति परिवार मासिक 35 किलोग्राम अनाज दिया जा रहा है।
इसमें कहा गया है कि सरकार ने मुक्त बाजार बिक्री योजना के तहत गेहूं और चावल का आवंटन किया है। पीडीएस के जरिए 10 रुपए प्रति किलोग्राम की सब्सिडी के साथ दालों के वितरण के लिए आयात योजना चलाई जा रही है। यह आयातित दाल सब्सिडी वाली दरों पर बीपीएल परिवारों को दी जाती है। यह योजना नवंबर 2008 से जून 2012 तक चली थी।
अब सरकार ने इसे अलग तरीके से लागू करने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत अब बीपीएल परिवारों को दालों की खरीद पर 20 रुपए प्रति किलोग्राम की सब्सिडी का प्रावधान है।
इसी तरह प्रति राशनकार्ड 15 रुपए की सब्सिडी के साथ 1 लीटर आयातित खाद्य तेल उपलब्ध कराने की योजना को अब 30 सितंबर 2013 तक बढ़ा दिया गया है। यह योजना 2008-09 से चलाई जा रही है।
वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. रघुराम राजन ने समीक्षा में कहा है कि मौजूदा समय मुश्किल दौर वाला है, लेकिन भारत पहले भी इस तरह की समस्याओं से बाहर निकला है। आने वाले समय में भी बेहतर नीतियों के बल पर भारत और मजबूत होकर आगे निकलेगा।
रघुराम राजन ने कहा कि राष्ट्रीय खर्च की प्राथमिकता को खपत से हटाकर निवेश की तरफ ले जाना होगा। निवेश, आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन के रास्ते में आने वाली तमाम अड़चनों को दूर करना होगा। इसके लिए ढांचागत क्षेत्र में सुधार पर जोर दिया गया है।
रघुराम राजन ने महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए मौद्रिक और आपूर्ति पक्ष के उपायों पर जोर दिया है। उन्होंने उधार की लागत कम करने, वित्तीय संसाधन जुटाने और अपनी पूंजी जमा रखने वालों के लिए मजबूत रिटर्न के अवसर पैदा करने पर जोर दिया।
समीक्षा में कर आधार व्यापक बनाने और सरकारी खर्चों की प्राथमिकता तय किए जाने पर जोर देते हुए राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर बढ़ने को कहा गया है। इसमें कहा गया है कि मांग पर दबाव और कृषि उत्पादन बढ़ने से महंगाई कम होगी। इस स्थिति का लाभ उठाते हुए रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कमी लाएगा। ब्याज दरें नीचे आएंगी और निवेश गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
समीक्षा में रोजगार पर विशेष तौर से गौर किया गया है। इसमें कहा गया है कि हमें जनसंख्या में युवाओं की अधिक संख्या का फायदा उठाना है। वर्ष 2011 से लेकर 2030 की अवधि में भारतीय श्रमबल में 30 से 49 आयु वर्ग के लोग अधिक होंगे।
इसमें कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के ज्यादा अवसर नहीं आ रहे हैं। कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों में ही रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। उच्च उत्पादाकता वाले सेवा क्षेत्र में भी रोजगार के ज्यादा अवसर नहीं मिल रहे हैं। (भाषा)