अभिनेता ने विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर अपने ब्लॉग में लिखा, 'जिन लोगों ने कभी 1.25 अरब की आबादी को देश की सबसे बड़ी कमजोरी बताया था, उपभोक्तावाद उन्हें गलत साबित करता है..दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति का मार्गदर्शन एवं पूर्वानुमान लगाने वाले अर्थशास्त्री अब और तीसरी दुनिया के किसी देश को तीसरी दुनिया नहीं कहते..उन्होंने एक प्रगतिशील दौर - ‘उभरती अर्थव्यवस्था’ के मुहावरे की घोषणा की है।'
स्वतंत्र देशों में ऐसे बहुत ही कम, असल में एक भी देश नहीं है जिसने विदेशी शासन, उपनिवेशवाद और दूसरे आक्रमणकारी ताकतों का दमन झेला है एवं बचा है और जिसने उस तरह का ‘उत्थान’ दिखाया हो जैसा भारत ने किया है..।