कंसल्टेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि सभी क्षेत्रों के प्रभावित होने के साथ इसका अपरिहार्य रूप से देश के ऊर्जा बाजारों पर असर पड़ रहा है। हालांकि 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में लगाए गए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की तरह इस बार लॉकडाउन न लगाए जाने की वजह से ऊर्जा की मांग अब तक अपेक्षाकृत रूप से मजबूत साबित हुई है जबकि 12 महीने पहले की तुलना में इस बार संक्रमण की गंभीरता का स्तर कहीं ज्यादा है।
कंसल्टेंसी ने कोविड महामारी की दूसरी लहर की वजह से 2021 में भारत की जीडीपी का पूर्वाकलन पहले के 9.9 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत कर दिया, लेकिन लॉकडाउन उपायों और आवाजाही से जुड़े प्रतिबंधों के और कड़े किए जाने पर इसमें और कमी आने का खतरा है।