न्यायाधिकरण ने कहा कि उसने मिस्त्री की उन दलीलों को स्वीकार नहीं किया, जिसमें कहा गया था कि उनका निष्कासन निदेशक मंडल द्वारा गड़बड़ी करके किया गया है और यह अल्पांश शेयरधारकों का उत्पीड़न है। पीठ ने कहा कि कंपनी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां आयकर विभाग को देने, मीडिया में जानकारियां लीक करने और कंपनी के शेयरधारकों और उसके निदेशक मंडल के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर खुलकर सामने आने के बाद मिस्त्री को हटाया गया था क्योंकि निदेशक मंडल और इसके सदस्यों का उन पर से विश्वास खत्म हो गया था।
अक्टूबर 2016 में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया था। इसके दो महीने के बाद उनकी कंपनी साइरस इन्वेस्टमेंट ने एनसीएलटी का रुख किया था। याचिका के मुताबिक, पांच महीने बाद उन्हें एनसीएलटी के पास आने के लिए टाटा संस के निदेशक मंडल में निदेशक पद से हटा दिया गया। एनसीएलटी के इस आदेश के खिलाफ मिस्त्री राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष अपील कर सकते हैं। (भाषा)