समिति ने कहा, वित्त एवं श्रम मंत्रालयों ने बताया है कि विभिन्न सरकारी विभागों में इस बात की सहमति बन चुकी है कि ईपीएफओ को सभी भविष्य निधियों के लिए एकमात्र नियामक की भूमिका निभानी चाहिए। इनमें वे सभी भविष्य निधियां शामिल हैं जिन्हें संगठनों एवं प्रतिष्ठानों की अन्य श्रेणियों के तहत छूट प्राप्त है।