बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्य तेलों के भाव टूटने से खाद्य तेल उद्योग, आयातक और किसान काफी परेशान हैं, खासकर आयातकों के सामने बर्बादी का खतरा मंडरा सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में जिस कच्चा पामतेल का आयात भाव लगभग 2,007 डॉलर प्रति टन था, उसका कांडला बंदरगाह पर मौजूदा भाव सिर्फ 990 डॉलर प्रति टन रह गया है। ऐसे में बाकी तेल तिलहन कीमतों पर भी भारी दबाव है।
सूत्रों ने कहा कि जब कांडला बंदरगाह पर सीपीओ 88 रुपए किलो बिकेगा तो उसके सामने अगले मार्च के लगभग आने वाली सरसों किस तरह टिक पाएगी। आगामी रबी फसल के लिए सरकार द्वारा सरसों की नई फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाने की संभावना को देखते हुए सरसों तेल का लागत मूल्य 125-130 रुपए लीटर होने की उम्मीद है।