जगन्नाथ मंदिर को उड़ाने की धमकी, जानिए कितना पुराना है यह प्रसिद्ध मंदिर

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 13 अगस्त 2025 (13:07 IST)
Threat to blow up Jagannath temple of Puri: ओडिशा के पुरी में 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के समीप एक छोटे मंदिर की दीवार पर बुधवार को चेतावनियां लिखी मिली हैं, जिनमें धमकी दी गई है कि ‘आतंकवादी जगन्नाथ मंदिर को ध्वस्त कर देंगे।’ इस घटना से श्रद्धालुओं में नाराजगी फैल गई है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उड़िया भाषा में लिखी यह धमकी बाली साही स्थित मां बूढ़ी ठकुराणी मंदिर की दीवार पर लिखी मिली है।
 
दीवार पर लिखी एक चेतावनी में कहा गया है, आतंकवादी श्रीमंदिर को ध्वस्त कर देंगे। मुझे फोन करो, नहीं तो विनाश होगा।  पुरी के एक निवासी के अनुसार, ‘मंदिर की दीवार पर कई फोन नंबर भी लिखे गए हैं। ‘पीएम मोदी’, ‘दिल्ली’ जैसे शब्द भी लिखे हुए हैं। पुरी के पुलिस अधीक्षक पिनाक मिश्रा ने मौके का दौरा करने के बाद कहा कि हमने मामले पर संज्ञान लिया है और इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि हमें कुछ जानकारी मिली है और इसके पीछे शामिल लोगों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम बनाई जा रही है। एसपी ने बताया कि पुलिस इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है और शुरुआती जांच से लगता है कि धमकियां मंगलवार रात को लिखी गईं। उन्होंने कहा कि पुलिस इस तरह की हरकत के पीछे का मकसद भी पता लगाने की कोशिश कर रही है। मिश्रा ने कहा कि कई जगहों पर सीसीटीवी लगाए गए हैं और सुरक्षा गार्ड भी तैनात हैं। जांच युद्ध स्तर पर जारी है।
 
कितना पुराना है जगन्ना मंदिर : पुरी का जगन्नाथ मंदिर काफी प्राचीन है। वर्तमान मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश के शासक राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने करवाया था। हालांकि, यह भी माना जाता है कि इस स्थान पर मंदिर पहले भी मौजूद था। यह कई बार पुनर्निर्मित किया गया।

महाभारत के 'वनपर्व' में भी इसका उल्लेख मिलता है, जिससे इसकी प्राचीनता का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की लकड़ी से बनी अनोखी मूर्तियां स्थापित हैं। हर 12 या 19 साल में 'नव-कलेवर' नामक एक विशेष अनुष्ठान के दौरान इन मूर्तियों को बदला जाता है, जो इस मंदिर की सबसे अनूठी परंपराओं में से एक है।
 
यह मंदिर कलिंग वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। 10.7 एकड़ में फैला यह विशाल परिसर दो आयताकार दीवारों से घिरा है। मुख्य मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना है और इसका शिखर लगभग 214 फीट ऊंचा है। मंदिर के शिखर पर लगा सुदर्शन चक्र किसी भी दिशा से देखने पर एक ही दिशा में दिखाई देता है, जो इसकी स्थापत्य कला का एक अद्भुत चमत्कार है। मंदिर के चार मुख्य द्वार हैं, जो चारों दिशाओं में खुलते हैं और प्रत्येक द्वार पर एक विशिष्ट जानवर की मूर्ति है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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