वॉशिंग मशीन, फ्रिज, एसी सस्ते, GST में घटीं दरें, और आसान होगी रिटर्न भरने की प्रक्रिया

शनिवार, 21 जुलाई 2018 (21:02 IST)
नई दिल्ली। आम जनता को जीएसटी काउंसिल ने बड़ी राहत दी है। काउंसिल ने आम जनता के उपयोग की कई वस्तुओं को टैक्स फ्री किया है, वहीं कई वस्तुओं के टैक्स स्लैब में कटौती की है। परिषद् की अगली बैठक 4 अगस्त को होगी। इसमें सिर्फ सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने सेनिटरी नैपकिन, राखी, मूर्तियों, कंपोस्ट, सिक्कों, साल की पत्तियों से बने दोनों और थालियों, अतिरिक्त पोषक तत्त्व मिश्रित दूध जैसी कई वस्तुओं पर कर की दर घटाकर शून्य कर दी है। आयुष्मान भारत के तहत दिए जाने वाले प्रीमियम पर शून्य प्रतिशत जीएसटी लगेगा। वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने जीएसटी काउंसिल की 28वीं बैठक के बाद कहा कि नई टैक्स दरें 27 जुलाई से लागू होंगी। 
 
ये वस्तुएं हुई टैक्स फ्री : वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि सेनिटरी नैपकीन, राखी, क्वायर, कंपोस्ट, फूलझाड़ू, साल के पत्तों से बने दोनों और थालियों, अतिरिक्त पोषक तत्त्व मिश्रित दूध, सिक्कों तथा पत्थर, संगमरमर और लकड़ी की मूर्तियों को कर से मुक्त कर दिया गया है।
 
इन वस्तुओं में घटाई दर : हाथ से बनी दरी पर कर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत, बाँस की फ्लोरिंग, केरोसिन के प्रेशर स्टोव, जिप और स्लाइड फास्टनर पर 18 से घटाकर 12 प्रतिशत, इथेनॉल पर 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। सेवाओं में ई-बुक्स को 18 प्रतिशत की जगह 5 प्रतिशत के स्लैब में कर दिया गया है।
 
सस्ते होंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण : घरेलू उपयोग के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे वॉशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, मिक्सर, वॉटर कूलर, मिल्क कूलर, आइसक्रीम फ्रीजर, लीथियम-आयन बैटरी, पेंट और वार्निश आदि पर कर की दर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत की गई है। बिना पॉलिश के पत्थरों पर कर की दर 5 प्रतिशत कर दी गई है।
 
55 से ज्यादा वस्तुओं पर घटी कर की दर : गोयल ने बताया कि नौ घंटे चली बैठक में विचार-विमर्श के बाद 55 से ज्यादा वस्तुओं पर कर घटाए गए हैं। कर की नई दरें 27 जुलाई से लागू होंगी। उन्होंने आज के फैसलों से राजस्व को होने वाले नुकसान का आंकड़ा नहीं बताया, लेकिन कहा कि जितना राजस्व का नुकसान होगा वस्तुओं की मांग बढ़ने से तथा अन्य फैसलों से जीएसटी के दायरे में ज्यादा करदाताओं के आने से उसकी लगभग पूरी भरपाई हो जाएगी। सूत्रों ने बताया कि 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत के दायरे में लाई गयी वस्तुओं से ही छ: हजार करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान होगा।
 
भर सकेंगे तिमाही रिटर्न : जीएसटी परिषद् ने करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए फैसला किया कि सालाना पांच करोड़ तक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को मासिक की जगह तिमाही रिटर्न भरना होगा। हालांकि इस व्यवस्था को लागू होने में अभी समय लगेगा।
 
परिषद् की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने बताया कि अब सालाना पांच करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को भी तिमाही रिटर्न भरना होगा। हालांकि उन्हें कर हर महीने जमा कराना होगा जो वे एक चालान द्वारा कर सकेंगे। अब तक सिर्फ 1.5 करोड़ रुपए का कारोबार करने वालों को ही तिमाही रिटर्न भरने की सुविधा थी। अन्य करदाताओं को मासिक रिटर्न भरना होता था। आज के फैसले के बाद अब 93 प्रतिशत करदाता तिमाही रिटर्न वाली श्रेणी में आ जाएंगे। वित्तमंत्री ने बताया कि इस फैसले को लागू करने में अभी समय लगेगा।
 
दो नए रिटर्न फार्म जारी किए जाएंगे : वित्तमंत्री गोयल ने बताया कि जल्द ही 'सुगम' और 'सहज' नाम से दो प्रकार के नये रिटर्न फॉर्म जारी किये जायेंगे। इनमें एक कंपोजिशन स्कीम के लिए और एक बड़े कारोबारियों के लिए होगा। अन्य महत्वपूर्ण फैसलों में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म को 30 सितम्बर 2019 तक के लिए टाल दिया गया है। कंपोजिशन स्कीम के तहत आने वाले व्यापारी अब अपने टर्नओवर का 10 प्रतिशत या पाँच लाख रुपए (जो भी अधिक हो) तक की सेवाएं (रेस्त्रां को छोड़कर) भी दे सकेंगे। 
 
पर्वतीय तथा पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए छूट : पर्वतीय तथा पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए 20 लाख रुपए तक का सालाना कारोबार करने वालों को जीएसटी में पंजीकरण से छूट दी गई है। पहले यह सीमा 10 लाख रुपए थी। जिनका व्यापार एक ही राज्य में कई स्थानों पर है उन्हें एक से अधिक पंजीकरण कराने की भी अब सुविधा दी गयी है। हालांकि कारोबार के आकार की गणना सभी इकाइयों को मिलाकर की जाएगी।
 
जीएसटी कानून में किया जाएगा संशोधन : गोयल ने बताया कि कंपोजिट स्कीम की सीमा एक करोड़ रुपए से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपए करने के लिए जल्द ही जीएसटी कानून में संशोधन किया जाएगा। ई-कॉमर्स कंपनियों को भी राहत दी गई है। जो ई-कॉमर्स कंपनियों स्रोत पर कर नहीं वसूलतीं उन्हें जीएसटी में पंजीकरण कराना जरूरी नहीं होगा। सेवा क्षेत्र की ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए यह सुविधा पहले से थी।

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