राहुल गांधी ने जीएसटी व नोटबंदी को लेकर सरकार को घेरा, संविधान संशोधन निजी विधेयक वापस

शुक्रवार, 20 जुलाई 2018 (18:06 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने शुक्रवार को राज्यसभा में आश्वासन दिया कि वह संविधान के अनुच्छेद 366 को संशोधित करने के लिए एक संविधान संशोधन विधेयक लाए जाने के बारे में विचार करेगी और इसके लिए संबद्ध पक्षों से विस्तृत विचार-विमर्श करेगी।
 
 
केंद्रीय कानून राज्यमंत्री पीपी चौधरी ने शुक्रवार को सदन में तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय के निजी विधेयक पर चली चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए यह आश्वासन दिया, उनके आश्वासन के बाद राय ने अपना विधेयक वापस ले लिया।
 
चौधरी ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में संविधान के प्रावधानों का जिक्र करते हुए कहा कि न्याय पालिका को निष्पक्ष रहना चाहिए और हम उसकी स्वतंत्रता बरकरार रखे जाने के समर्थक हैं लेकिन उनकी नियुक्ति के संदर्भ में संविधान में मुख्य न्यायधीश से सलाह-मशविरा शब्द की परिभाषा का अर्थ सहमति नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर व्यापक अध्ययन और विचार-विमर्श के बाद ही कोई विधेयक लाने पर सरकार विचार करेगी इसलिए हम राय से इसे वापस लेने का अनुरोध करते हैं।
 
राय का कहना था कि संविधान में प्रयुक्त शब्द सलाह-मशविरा की मनमानी व्याख्या नहीं की जा सकती और उसे राष्ट्रपति पर थोपा नहीं जा सकता। इससे तो न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच टकराव बढ़ेगा। लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार होना चाहिए न कि न्यायपालिका को। यह एक गंभीर मुद्दा है। चौधरी के आश्वासन के बाद वे इस विधेयक को वापस लेते हैं।
 
कांग्रेस अध्यक्ष ने नोटबंदी पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि मोदी सरकार में यह समझ नहीं थी कि किसान और छोटे एवं मझौले दुकानदारों का धंधा नकद से होता है। उन्होंने गुजरात के सूरत के कुछ व्यापारियों का हवाला देते हुए कहा कि नोटबंदी को लेकर इन व्यापारियों में काफी रोष था।
 
उन्होंने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का उल्लेख करते हुए कहा कि इसे कांग्रेस लाई थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने इसमें 5 तरह की कर श्रेणियां रखकर इसे बेकार बना दिया। पेट्रोल एवं डीजल को भी इसमें शामिल नहीं किया गया। जीएसटी के माध्यम से प्रधानमंत्री ने छोटे-छोटे घरों में भी आयकर विभाग को प्रवेश दे दिया है तथा कमजोर वर्ग के लोगों की जेब पर डाका डाला है।
 
गांधी ने कहा कि विदेश यात्रा पर सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहने वाले प्रधानमंत्री की बात केवल 15-20 सूट-बूट वाले लोगों से होती है, लेकिन छोटे-छोटे दुकानदारों और किसानों की बात उन तक नहीं पहुंचती। उन्होंने मोदी सरकार की विदेश नीति की भी आलोचना की और डोकलाम विवाद का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इधर डोकलाम में घुसे चीनी सैनिकों के सामने भारतीय सैनिक खड़े थे और उधर प्रधानमंत्री चीनी राष्ट्रपति के साथ बिना एजेंडे के मुलाकात कर रहे थे। असल में वह चीन का एजेंडा था। ऐसा करके प्रधानमंत्री ने भारतीय सैनिकों को धोखा दिया है।
 
देश में दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के उत्पीड़न की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में इन सभी के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं जिससे विदेशों में हिन्दुस्तान की खराब छवि बनी है। देश में दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं और प्रधानमंत्री के मुंह से इसे लेकर एक शब्द भी नहीं निकलता। ऐसे लोगों पर हमले संविधान पर हमला है, यह हिन्दुस्तान पर हमला है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
 
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ न केवल पूरे देश में, बल्कि भाजपा के भीतर भी आवाजें उठने लगी हैं। संपूर्ण विपक्ष और सत्तापक्ष के कुछ लोग मिलकर आगामी चुनाव में भाजपा को हराने जा रहे हैं।
 
उन्होंने प्रधानमंत्री का उन्हें कांग्रेस, हिन्दुस्तानी और धर्म का मतलब समझाने के लिए धन्यवाद करते हुए कहा कि आपके अंदर मेरे लिए नफरत हो सकती है, आपके लिए भले ही मैं पप्पू हूं, लेकिन मेरे अंदर आपके लिए कोई गुस्सा और नफरत नहीं है। हम कांग्रेसी हैं और आप सभी को एक-एक करके कांग्रेस का पाठ सिखाऊंगा। अपना भाषण समाप्त करने के बाद गांधी प्रधानमंत्री की सीट पर गए और उन्हें गले लगाया। (वार्ता)

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