नई दिल्ली। अमेरिकी रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने गुरुवार को कहा कि उसकी रेटिंग वाली भारतीय कंपनियों में से करीब आधी की मूल लाभप्रदता रुपए के मूल्य में गिरावट की वजह से बढ़ी है। उसने कहा कि वे कंपनियां जिनकी हम रेटिंग करते हैं उनमें से ज्यादातर के राजस्व का बड़ा हिस्सा अमेरिकी डॉलर से जुड़ा हुआ है इसलिए रुपए में गिरावट का इस पर असर नहीं पड़ा।
इन कंपनियों में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र, धातु और रसायन क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। भारतीय मुद्रा के कमजोर होने से इनमें से आधी कंपनियों कर पूर्व आय (ईबीआईटीडीए) बढ़ी है। एसएंडपी ने कहा कि दूरसंचार जैसे घरेलू मांग से संबंधित क्षेत्र भी रुपए में गिरावट से अधिक प्रभावित नहीं हुए और इसकी वजह वित्तीय हानि से बचाव का उनका बंदोबस्त है। वहीं अपनी सेवाओं का डॉलर आधारित निर्यात करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां जैसे कि विप्रो, इन्फोसिस और एचसीएल टेक्नोलॉजीज जिनकी लागत रुपए में आती है वे विशेषतौर पर लाभ में हैं।
इसमें कहा गया कि वेदांता रिसोर्सेज जैसी स्थानीय धातु कंपनियों की कमाई भी बढ़ी है। कंपनी का अनुमान है कि जब-जब भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक रुपए गिरेगा, उसका सालाना ईबीआईटीडीए करीब 5 करोड़ डॉलर बढ़ जाएगा।
भारतीय कॉर्पोरेट जगत में अवसंरचना क्षेत्र की कपंनियों विशेषकर उच्च पूंजीगत व्यय वाली नवीकरणीय क्षेत्र की कंपनियों को मुद्रा में उतार-चढ़ाव से अधिक जोखिम है क्योंकि डॉलर में कर्ज पर इनकी निर्भरता अधिक होती है। 'एशिया प्रशांत मजबूत डॉलर की समस्या: आज की असुविधा, कल का सिरदर्द' शीर्षक की रिपोर्ट में एसएंडपी ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ब्याज दरों में तेजी से बढ़ोतरी होगी।(भाषा)