Mehil Mystry Tata Trust news : रतन टाटा की पहली बरसी से टाटा ट्रस्ट में जारी घमासान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। यहां नोएल टाटा और मेहली मिस्त्री एक दूसरे को फूटी आंखों नहीं सुहा रहे हैं। मीडिया खबरों के अनुसार, शायद यही वजह है कि नोएल टाटा ने रतन टाटा के करीबी मेहली मिस्त्री ने टाटा ट्रस्ट से विदाई की कहानी लिख दी है।
	 
	टाटा ग्रुप का नियंत्रण टाटा संस के पास : टाटा ग्रुप को टाटा संस नियंत्रित करती है। उसके पास टाटा संस में बहुमत की हिस्सेदारी है। टाटा संस वहीं होल्डिंग कंपनी है, जो 180 अरब डॉलर के कारोबारी साम्राज्य वाले टाटा ग्रुप को नियंत्रित करती है। इसमें टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और टाटा पावर समेत ग्रुप की तमाम कंपनियां शामिल हैं।
	 
	2 गुटों में बंटा टाटा ट्रस्ट : रतन टाटा की पहली बरसी पर आई खबरों में कहा गया था कि टाटा ट्रस्ट्स का बोर्ड अब दो खेमों में बंट गया है। पहले गुट में नोएल टाटा, वीनू श्रीनिवासन और विजय सिंह हैं। वहीं, दूसरे पक्ष में मेहली मिस्त्री, डेरियस खांबटा, जहांगीर जहांगीर और प्रमीत झावेरी शामिल हैं। मेहली मिस्त्री को रतन टाटा का करीबी माना जाता था और वे उनकी वसीयत के एग्जिक्यूटर्स भी है। तब सरकार के हस्तक्षेप से तात्कालिक रूप से मामला सुलझ गया था।
	 
	3 ट्रस्टियों ने किया मेहली का विरोध : पिछले हफ्ते जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि 6 में से 3 ट्रस्टियों ने मेहली मिस्त्री की पुनर्नियुक्ति का विरोध किया। इनमें नोएल टाटा, वीनू श्रीनिवासन और विजय सिंह शामिल हैं। हालांकि डेरियस खांबटा, जहांगीर जहांगीर और प्रमीत झावेरी उनके समर्थन में नजर आए। इसके बाद मेहली को रतन टाटा ट्रस्ट के साथ ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट से भी हटना पड़ेगा। कहा जा रहा है कि मेहली टाटा ट्रस्ट के गवर्निंग बोर्ड्स से भी इस्तीफा दे सकते हैं।
	 
	गौरतलब है कि रतन टाटा के कार्यकाल में टाटा ट्रस्ट्स में वोटिंग की परंपरा नहीं थी। सभी निर्णय सर्वसम्मति से ही लिए जाते थे। पिछले माह विजय सिंह को भी टाटा संस बोर्ड से इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय मेहली मिस्त्री, डेरियस खांबटा, जहांगीर जहांगीर और प्रमीत झावेरी ने विजय सिंह के नाम का विरोध किया था।