अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में सुधार लाने के लिए तेल उत्पादक देशों के संगठन (ओपेक) ने तेल उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक 2008 के बाद यह पहला मौका है, जब ये देश उत्पादन में कटौती के लिए राजी हो गए हैं। बुधवार को हुए इस समझौते के तहत सऊदी अरब अपने तेल उत्पादन में रोजाना पांच लाख से लेकर एक करोड़ बैरल तक, जबकि कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात रोजाना तीन-तीन लाख बैरल की कटौती करेंगे।
उल्लेखनीय है कि गैर-ओपेक देश रूस ने भी इस फैसले का समर्थन किया है। इराक द्वारा अपने तेल उत्पादन में कटौती को अप्रत्याशित कदम माना जा रहा है क्योंकि वह इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के लिए तेल उत्पादन का अपना कोटा बढाने की मांग कर रहा था। ओपेक का साथ देते हुए इराक ने तय किया है कि वो अपने तेल उत्पादन में रोजाना दो लाख बैरल कटौती करेगा। वैसे ओपेक में शामिल एकमात्र पूर्वी एशियाई देश इंडोनेशिया ने खुद को इस प्रस्ताव से अलग कर लिया है और ओपेक के साथ अपनी सदस्यता स्थगित करने की बात कही है।
ओपेक के अध्यक्ष मोहम्मद बिन सलेह अल-सदा ने इसे ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में संतुलन लाने वाला कदम बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि गैर-ओपेक देशों से अपने रोजाना तेल उत्पादन में छह लाख बैरल की कटौती किए जाने की उम्मीद है। अस-सदा ने बताया कि यह समझौता अगले साल एक जनवरी से प्रभावी होगा और इसमें साथ देने के लिए गैर-ओपेक देशों के साथ बातचीत की जाएगी।
ओपेक देशों के बीच इस समझौते की घोषणा के तुरंत बाद अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमत में 8.3 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि इस कदम से अमेरिका के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे तेल उत्पादक देशों को राहत मिलेगी। पिछले दिनों कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ने की वजह से इसकी कीमतें सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी जिसकी वजह से रूस, खाड़ी देश और कुछ लैटिन अमेरिकी देशों की अर्थव्यवस्था पर भारी चोट पहुंची थी।