आपको पीपीएफ में क्यों निवेश करना चाहिए

शुक्रवार, 31 अगस्त 2018 (17:27 IST)
पीपीएफ या पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) भारत सरकार द्वारा स्थापित की गई एक निवेश बचत योजना है। 1968 में लांच की गई इस योजना को लगभग 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं। यह नौकरीपेशा, व्यवसायी, छात्र या रिटायर सभी भारतीयों के लिए खुला है।
 
आइए जानते हैं उन कुछ खास कारणों को जिस वजह से आपको पीपीएफ में निवेश करना चाहिए-
 
सरकारी समर्थन : पीपीएफ की स्थापना सरकार ने की थी और इसे सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के आधार पर ही चलाया जाता है। आप अपना पीपीएफ अकाउंट बैंक या पोस्ट ऑफिस में खोल सकते हैं और उसमे जमा पैसा नेशनल स्मॉल सेविंग्स फंड में जमा होता है और इसे सरकार द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आपकी पूंजी और ब्याज दोनों ही सरकार के पास सुरक्षित है और इसके डूबने का कोई जोखिम नहीं है।
 
उच्च ब्याज दर : बैंक और पोस्ट ऑफिस में कई सावधि जमा (एफडी) की अपेक्षा पीपीएफ में ज्यादा ब्याज दर मिलती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि छोटे बचतकर्ताओं की मदद के लिए पीपीएफ की स्थापना की गई है और सरकार ऐसे लोगों के लिए थोड़ी अधिक दरों की पेशकश करने का प्रयास  करती है। वर्तमान में पीपीएफ में ब्याज दर 7.6 प्रतिशत है। यह ऐतिहासिक रूप से 8% के आसपास है। हालांकि कुल ब्याज दरें बढ़ने पर इसकी में काफी वृद्धि हुई है इसलिए अतीत में, पीपीएफ दर 12% तक रही है।
 
टैक्स में छूट : पीपीएफ में डेढ़ लाख रुपए प्रति वर्ष तक के निवेश पर टैक्स में छूट है। पीपीएफ के ब्याज पर भी टैक्स नहीं लगता और परिपक्वता राशि कर से मुक्त है। दूसरे शब्दों में पीपीएफ को टैक्स में 'ईईई' या छूट-छूट-छूट का आनंद मिलता है। हालांकि आपको हर साल अपने आयकर रिटर्न में पीपीएफ पर मिले ब्याज की जानकारी देना होगी।   
 
कोई बाजार जोखिम नहीं : धारा 80 सी के तहत बाजार में डेढ़ लाख रुपए साल तक टैक्स बचाने के कई विकल्प मौजूद हैं। हालांकि उनमें से ईएलएसएस फंड (टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड), यूएलआईपी या एनपीएस आदि बाजार जोखिम के अधीन हैं। रिटर्न एक वर्ष में 10% और अगले में -5% हो सकता है। आप इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकते कि आपको कितना रिटर्न मिलेगा। हालांकि पीपीएफ के मामले में, बाजार जोखिम नहीं है। ब्याज का भुगतान भारत सरकार द्वारा किया जाता है और इसलिए डिफॉल्ट होने का कोई जोखिम नहीं होता है।
 
लॉन्ग लॉक-इन : पीपीएफ में 15 साल का लॉक इन होता है। यह आपको इस योजना से बहुत जल्दी पैसे वापस निकालने से रोकता है। यद्यपि खाता खोलने के पांच साल बाद आप अपने पीपीएफ अकाउंट से आंशिक रूप से धन निकाल सकते हैं।
 
उदाहरण के लिए यदि आपने जनवरी 2017 में खाता खोला है तो एक अप्रैल 2023 के बाद ही आप इसमें से आंशिक धन निकाल सकते हैं। आंशिक निकासी की भी सीमाएं हैं। यह आपको पीपीएफ बैलेंस को बहुत जल्दी उपयोग करने से रोकता है और आपको सेवानिवृत्ति के लिए एक बड़ा कॉर्पस बनाने में सक्षम बनाता है।
 
सभी के लिए खुला : पीपीएफ अकाउंट नौकरीपेशा, व्यवसायी, छात्र, गृहिणी या रिटायर सभी भारतीयों के लिए खुला है। यही बात इसे ईपीएफ (जिसे 'पीएफ' कहा जाता है) या कर्मचारी भविष्य निधि से अलग करती है। ईपीएफ केवल संगठित क्षेत्र के उन कर्मचारियों के लिए खुला है जो 20 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों में काम करते हैं। पीपीएफ खातों को नाबालिगों (18 साल से कम उम्र के लोग) के लिए भी खोला जा सकता है। NRI (अनिवासी भारतीय) पीपीएफ खाते नहीं खोल सकते हैं, लेकिन वे भारत में रहते समय खोले गए पीपीएफ खातों में योगदान देना जारी रख सकते हैं।
 
बैंकों और डाकघरों में उपलब्ध : लगभग सभी बैंक अपने यहां पीपीएफ अकाउंट खोलने की सुविधा देते हैं। एसबीआई, यूनियन बैंक जैसे राष्‍ट्रीयकृत बैंक से लेकर आईसीआईसीआई बैंक जैसे निजी बैंकों तक सभी अपने यहां पीपीएफ अकाउंट खोलने की अनुमति देते हैं। आईसीआईसीआई जैसे कई बैकों में आप ऑनलाइन पीपीएफ अकाउंट खोल सकते हैं।
 
कुछ बैंक (एक्सिस बैंक) ऑनलाइन पीपीएफ जमा करने की भी सुविधा देते हैं। इसने पीपीएफ खातों को बनाए रखने के साथ ही इससे जुड़ी परेशानी को बहुत कम कर दिया है और पीपीएफ खाते में आसानी से पहुंच को बढ़ा दिया है। देश भर में डाकघरों में भी पीपीएफ अकाउंट खोलने की सुविधा दी गई है। अगर आपके आसपास कोई बैंक नहीं है तो भी आप डाकघरों के माध्यम से यह सुविधा उपलब्ध है। 
 
एन्युअल कंपाउंडिंग : पीपीएफ पर ब्याज वार्षिक रूप से मिलता है। इसका मतलब है कि पीपीएफ ब्याज पर भी ब्याज मिलता है और नतीजतन आपका कुल धन समय के साथ तेजी से बढ़ता है। 
 
त्रैमासिक दर संशोधन : सरकार सरकारी बांड पर दी गई दरों के साथ हर तिमाही में पीपीएफ दरों में संशोधन करती है। जब अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें बढ़ेगी तो परिणामस्वरूप पीपीएफ दर भी बढ़ेगी। यह समग्र ब्याज दरों के लिए अत्यधिक उत्तरदायी है।
 
अटैचमेंट से संरक्षण : किसी भी देनदारी की स्थिति में न्यायालय की किसी डिक्री या आदेश से अटैचमेंट की स्थिति में पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक्ट, 1968 पीपीएफ में जमा धन की रक्षा करता है। यह एक्ट बजट 2018 द्वारा निरस्त किया गया और पीपीएफ को सरकारी बचत बैंक अधिनियम, 1873 के तहत लाया गया है। हालांकि बजट 2018 में संशोधन के माध्यम से अटैचमेंट से सुरक्षा सरकारी बचत बैंक अधिनियम में जोड़ा गया था। इसलिए पीपीएफ में आपकी जमा राशि अभी भी अटैचमेंट से मुक्त रहेगी। (Advertorial)

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