गांधी ने बुधवार को डिजिटल कर्ज देने वाली वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी रुपीक के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि यदि देश को अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए सोने का सफलतापूर्वक मौद्रिकरण करना है, तो उसे आभूषणों के रूप में घरों में सोना रखने की मानसिकता को बदलने की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि एक अनुमान के अनुसार भारत में घरों और धार्मिक संस्थानों के पास लगभग 23,000 से 24,000 टन सोना है, लेकिन लोगों की मानसिकता को बदलना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि यह एक स्वर्ण बैंक की अवधारणा को पुनर्जीवित करने का समय हो सकता है। एक ऐसा बैंक, जो स्वर्ण जमा स्वीकार करेगा, जो विशेष रूप से या मुख्य रूप से स्वर्ण ऋण प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को लगातार उच्च वृद्धि के लिए बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। गांधी ने कहा कि गोल्ड बैंक स्थापित करने के लिए बैंक लाइसेंसिंग नीति, इसके नकद आरक्षित अनुपात और सांविधिक तरलता अनुपात के संदर्भ में कुछ नियामकीय सुविधाओं की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश में सोने की ओर नीति में एक उल्लेखनीय बदलाव आया है। इसके तहत लोगों को भौतिक सोने की तुलना में वित्तीय सोने में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना, लोगों के पास रखे सोने के मौद्रिकरण के लिए कदम उठाना, गुणवत्ता नियंत्रण के लिए ढांचा बनाना आदि जैसे कदम उठाए गए हैं। सोने में निवेश के लिए तैयार किए गए नए वित्तीय उत्पादों में स्वर्ण जमा, स्वर्ण धातु ऋण, गोल्ड बॉण्ड और गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) शामिल हैं।