Ministry of Finance की रिपोर्ट का अनुमान, अमेरिका भारत व्यापार समझौते से निर्यात को मिलेगी नई गति

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 28 मई 2025 (00:02 IST)
US India trade agreement: अमेरिका-भारत (US and India) के बीच सफल द्विपक्षीय व्यापार समझौता मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों को अनुकूल बना सकता है। इससे नए बाजारों तक पहुंच खुल सकती है और निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। भारत और अमेरिका 8 जुलाई से पहले अंतरिम व्यापार समझौते को निष्कर्ष पर पहुंचा सकते हैं। इसमें भारत घरेलू वस्तुओं पर 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क (retaliatory duty) से पूरी छूट देने पर जोर दे रहा है।
 
अमेरिका ने 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाया था : अमेरिका ने 2 अप्रैल को भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 26 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाया था, लेकिन इसे 90 दिन के लिए 9 जुलाई तक के लिए निलंबित कर दिया था। हालांकि 10 प्रतिशत मूल शुल्क को लागू रखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत में निवेश के लिए आकर्षक गंतव्यों में से एक बने रहने की क्षमता है।ALSO READ: भारत के चौथी सबसे बड़ी इकॉनॉमी बनने और अमेरिकी टैरिफ को लेकर Share Market में आई तेजी, Sensex 455 और Nifty 148 अंक चढ़ा
 
वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि विदेशी निवेशक उन नीतियों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकते हैं, जो देश की मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं को मजबूत करती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेष रूप से देश के युवा कार्यबल के कौशल और उत्पादकता को बढ़ाने वाली नीतियां निवेश और वृद्धि के चक्र को काफी मजबूत कर सकती हैं। इसके अनुसार भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। जहां विभिन्न वैश्विक एजेंसियों ने अन्य देशों की वृद्धि दर में महत्वपूर्ण कटौती की है, वहीं भारत के मामले में यह सबसे कम है।ALSO READ: ट्रंप ने फिर डराया, EU पर पड़ेगी 50 प्रतिशत टैरिफ की मार, विदेश में बने सभी स्मार्ट फोन पर भी लगेगा 25 फीसदी शुल्क
 
भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के विश्व आर्थिक परिदृश्य (अप्रैल 2025) के अनुसार 2025-26 के लिए भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो जनवरी, 2025 में इसके पिछले पूर्वानुमान से 0.30 प्रतिशत कम है। ये संशोधन वैश्विक अनिश्चितताओं और व्यापार तनाव को देखते हुए किए गए हैं।
 
कई एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की वृद्धि 6.3 प्रतिशत से 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जिसे मजबूत घरेलू बुनियाद, स्थिर वृहद आर्थिक प्रबंधन और बढ़ते सरकारी पूंजीगत व्यय से समर्थन मिल रहा है। वहीं घटती मुद्रास्फीति इस परिदृश्य को और मजबूत करती है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मजबूत घरेलू बुनियाद, सूझबूझ वाला वृहद आर्थिक प्रबंधन और बाहरी झटकों को झेलने की क्षमता इसकी विशेषता बनी हुई है। मजबूत निजी खपत, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार और मजबूत सेवा निर्यात विकास के प्राथमिक इंजन बने हुए हैं।ALSO READ: ट्रंप का एक और दावा, भारत ने जीरो टैरिफ लगाने की पेशकश की
 
सेवा क्षेत्र में लगातार स्वस्थ विस्तार हो रहा : इसमें कहा गया कि सेवा क्षेत्र में लगातार स्वस्थ विस्तार हो रहा है। इससे वस्तु निर्यात में कुछ नरमी की भरपाई हो रही है। भारतीय रुपया अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है और विदेशी मुद्रा भंडार बाहरी झटकों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के मामले में दृष्टिकोण आशावादी बना हुआ है। आने वाले समय में रबी की अच्छी फसल, ग्रीष्मकालीन फसलों के तहत रकबे में वृद्धि और खाद्यान्नों के बेहतर बफर स्टॉक के कारण खाद्य मुद्रास्फीति दबाव कम रहने की उम्मीद है। मौसम विभाग का सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान तथा कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट महंगाई में कमी के रुख को मजबूत करती है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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